कोर्ट ने एक प्लास्टिक प्रॉडक्ट एक्सपोर्टर की यह अपील स्वीकार करते हुए अंतरिम राहत दी है कि

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नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक्सपोर्ट के मकसद से किए जाने वाले इम्पोर्ट पर मिलने वाली ड्यूटी फ्री स्कीम के तहत 1 जुलाई से पहले के ऑर्डर्स पर आईजीएसटी नहीं वसूलने का अंतरिम आदेश दिया है। कोर्ट ने एक प्लास्टिक प्रॉडक्ट एक्सपोर्टर की यह अपील स्वीकार करते हुए अंतरिम राहत दी है कि इससे उसका वर्किंग कैपिटल ब्लॉक हो जाएगा, क्योंकि जब ऑर्डर बुक हुए थे, तब आईजीएसटी का प्रवधान नहीं था।
हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि 1 अप्रैल 2015 को नोटिफाइड फॉरेन ट्रेड पॉलिसी 2015-20 में एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम लाई गई थी। स्कीम के तहत एक्सपोर्टर्स को उस इनपुट का ड्यूटी-फ्री इम्पोर्ट करने की छूट थी, जिसका उपयोग एक्सपोर्ट के लिए हो। इसमें इम्पोर्ट पर बेसिक कस्टम ड्यूटी, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, एजुकेशन सेस, एंटी डंपिंग ड्यूटी, सेफगार्ड ड्यूटी से छूट दी गई थी।
29 जून 2017 को जारी नोटिफिकेशन में सरकार ने 1 अप्रैल 2015 के नोटिफिकेशन में कुछ संसोधन करते हुए कहा कि स्कीम के तहत छूटें आगे भी जारी रहेंगी, लेकिन अब आईजीएसटी के रूप में एक अतिरिक्त कर चुकाना होगा। जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच के समक्ष याची के वकील ने दलील दी कि चूंकि उसने एक्सपोर्ट ऑर्डर 1 जुलाई से पहले लिया था और उसके मुताबिक इम्पोर्ट ऑर्डर दिया था। इस इम्पोर्ट पर आईजीएसटी का भुगतान करने से उसके सामने पूंजी का संकट खड़ा होगा। याची की ओर से कहा गया कि वह कानूनी प्रावधान को चुनौती नहीं दे रहा, बल्कि सिर्फ 1 जुलाई से पहले के एक्सपोर्ट ऑर्डर के लिए आयात पर आईजीएसटी चुकाने से छूट चाहता है।
कोर्ट की ओर से केंद्र को जारी नोटिस पर प्रिंसिपल कमिश्नर, जीएसटी (नॉर्थ दिल्ली) ने 11 सितंबर को दाखिल अपने जबाव में कहा कि सरकार ने ड्यूटी फ्री स्कीम के तहत कोई छूट वापस नहीं ली है। लेकिन 1 जुलाई के बाद कानूनन इम्पोर्ट पर आईजीएसटी चुकाना होगा, जिसे सरकार बाद में रिफंड करेगी। बेंच ने माना कि पेश मामले में याची की समस्या कैपिटल ब्लॉक होने की है और वह रिफंड का इंतजार नहीं कर सकता। उसने जीएसटी कानून या आईजीएसटी को चुनौती भी नहीं दी है और मौजूदा समय में आईजीएसटी चुका रहा है। ऐसे में 1 जुलाई से पहले के एक्सपोर्ट ऑर्डर्स पर उससे आईजीएसटी नहीं वसूला जाए। हालांकि याची को इन ऑर्डर्स की पूरी डिटेल अथॉरिटीज को सौंपनी होंगी और यह छूट उन्हीं मामलों में लागू होगी।

सौजन्य से:इकोनॉमिक्स टाइम्स

 

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