मुंबई : मुखबिर को इनाम की राशि नहीं देने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही विभाग को इनाम के 50 लाख रुपए देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुखबिर अपनी जान को जोखिम में डालकर सरकार को सूचना देता है। सरकारी खजाने को होनेवाले नुकसान से बचाता है। इसलिए कस्टम विभाग मुखबिर को उसकी इनाम की राशि प्रदान करे।
क्या है मामला
मुखबिर ने कस्टम विभाग को रायगढ में तस्करी के लिए लाए गए करोड़ों रुपए के कार्गो की जानकारी दी थी। इसके बाद विभाग ने पांच करोड़ रुपए कीमत का इलेक्ट्रॉनिक सामान जब्त किया था। छानबीन के बाद 2010 में पता चला था कि एक निजी कंपनी कार्गो को कोलंबो भेजनेवाली थी। कुछ समय बाद विभाग ने जब्त की गई चीजों को नीलाम करके दो करोड़ 65 लाख रुपए अर्जित किए थे।
आमतौर पर कस्टम विभाग मुखबिर को जब्त किए गए माल की कीमत के हिसाब से इनाम की राशि प्रदान करता है। इस आधार पर याचिकाकर्ता ने खुद को 50 लाख रुपए के इनाम का हकदार बताय। लेकिन विभाग ने उसे सिर्फ पांच लाख रुपए दिए। साथ ही आश्वासन दिया कि शेष राशि बाद में दी जाएगी। काफी समय बीत जाने के बाद भी विभाग ने इनाम की राशि नहीं दी। इस पर मुखबिर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
कुंठित व निराश हो जाएगा
न्यायमूर्ति एएस गडकरी व न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद कस्टम विभाग के निवेदन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि मुखबिर अपने जीवन को खतरे में डालकर सरकारी एजेंसियों को महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करता है। इस स्थिति में यदि मुखबिर को इनाम की राशि से वंचित रखा जाता है तो यह उसे कुंठित व निराश करेगा। भविष्य में महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करने से रोकेगा।
अधिकार के रुप में नहीं मांग सकता इनाम की राशि
जवाब में कस्टम विभाग ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया। हलफनामे में विभाग ने माना कि मुखबिर ने उनकी मदद की थी। लेकिन हलफनामे में कहा कि केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक इनाम की राशि तय करना पूरी तरह से इनाम को लेकर बनाई गई कमेटी का विशेषाधिकार है। इसलिए मुखबिर अधिकार के रुप में इनाम की राशि का दावा नहीं कर सकता है।
स्रोत : दैनिक भास्कर