छोटे कारोबारियों को मासिक, तिमाही जीएसटी रिटर्न पर बड़ी छूट

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी परिषद की आम माफी योजना के तहत छोटे कारोबारियों के लिए विलंब शुल्क में छूट को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके तहत सालाना 5 करोड़ तक टर्नओवर वाले कारोबारियों को मासिक और तिमाही रिटर्न भरने में बड़ी छूट दी गई है।

सीबीआईसी के मुताबिक, 2021 में मार्च, अप्रैल और मई महीने के मासिक रिटर्न पर विलंब शुल्क से निश्चित अवधि तक छूट दी जाएगी। इसके तहत मार्च के लिए 60 दिन, अप्रैल के लिए 45 दिन और मई के लिए 30 दिन की देरी से रिटर्न दाखिल करने पर कोई विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा।

बड़े कारोबारियों के लिए यह अविध रिटर्न की अंतिम तिथि से 15 दिन तक सीमित रहेगी और इस दौरान कोई विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। जो कारोबारी जनवरी-मार्च तिमाही के लिए अनुमानित तिमाही कर भुगतान योजना का विकल्प चुनते हैं, उन्हें भी विलंब शुल्क पर 60 दिन की मोहलत दी जाएगी।

जीएसटी परिषद ने 2017 में नया कर नियम लागू होने के बाद किसी भी महीने में रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारियों के लिए आम माफी योजना शुरू की है, जिसमें मामूली विलंब शुल्क चुकाकर रिटर्न भरने की सुविधा दी जा रही है।

ब्याज में भी मिलेगी राहत
सीबीआईसी ने कहा, 5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों को मार्च के लिए 9 फीसदी दर से 45 दिन का ब्याज, अप्रैल के लिए 9 फीसदी से 30 दिन का ब्याज और मई के लिए 9 फीसदी दर से 15 दिन का ब्याज चुकाना होगा।

मार्च तिमाही रिटर्न के लिए भी 15 दिन ब्याज से छूट रहेगी, जबकि शेष 45 दिन के लिए 9 फीसदी ब्याज देना होगा। 5 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वालों को रिटर्न की अंतिम तिथि से 15 दिन तक 9 फीसदी ब्याज और उसके बाद 18 फीसदी ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।

नीति आयोग ने निजीकरण के लिए सौंपी बैकों की सूची
बजट में घोषित सरकारी बैंकों के निजीकरण पर जल्द अंतिम मुहर लग सकती हैै। नीति आयोग ने विनिवेश पर फैसले के गठित सचिवों के समूह को बैंकों की सूची सौंप दी है। सरकार चालू वित्त वर्ष में दो बैंकों का निजीकरण कर सकती है।

नीति आयोग की सूची में शामिल बैंकों के बारे में सरकार की ओर से आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हो सकते हैं। विनिवेश के पीछे सरकार की मंशा है कि देश में एसबीआई जैसा एक और अंबरेला बैंक होना चाहिए, जिसके तहत कई छोटे बैंक अपना काम करें।

साथ ही देश के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में एक-एक लीड बैंक होना चाहिए, जो अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सके। बजट में वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का लक्ष्य रखा है। इससे सरकार को 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है।

सौजन्य से: अमर उजाला

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