नई दिल्ली : जीएसटी को लेकर भले ही सरकार कह रही हो कि इससे कारोबार पर बहुत असर नहीं पड़ा है लेकिन कपड़ा निर्यातकों का कहना है कि शिपमेंट में काफी कमी आ सकती है। कपड़ा एक्सपोर्ट्स ने संसदीय पैनल से इस बारे में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद शिपमेंट में गिरावट आ रही है और इससे बड़े पैमाने पर नौकरियों पर
संकट पैदा हो सकता है। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने नरेश गुजराल की अध्यक्षता वाली वाणिज्य पर राज्यसभा की स्टैंडिंग कमिटी के सामने प्रजेंटेशन के जरिए अपनी बात रखी है। काउंसिल ने स्टैंडिंग कमिटी के समक्ष एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स के आयात पर आईजीएसटी में छूट के मुद्दे पर भी बात की। काउंसिल ने एक्सपोर्ट में आ रही कमी को रोकने के लिए एक्सचेंज रेट को प्रतिस्पर्धी करने और रुपये को मजबूत करने के सुझाव दिए।
अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन अशोक रजनी ने कहा जीएसटी के सकारात्मक असर को गारमेंट इंडस्ट्री द्वारा महसूस किया जाना बाकी हैए जहां इनपुट कॉस्ट कम नहीं हुआ है। कुल मिलाकर जीएसटी के चलते छोटे और मझोले कपड़ा निर्यातकों पर बोझ पड़ा है। वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ने और हायर ट्रांजैक्शन कॉस्ट के चलते दबाव की स्थिति पैदा हुई है।अशोक रजनी ने कहा इसके चलते अपैरल के उत्पादन पर ही विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है बल्कि ड्रॉबैक रेट्स में कमी के चलते एक्सपोर्ट्स के मार्जिन पर भी बड़ा असर पड़ा है।
काउंसिल ने संसदीय समिति को बताया कि यदि ऐसी ही स्थिति रही तो निकट भविष्य में निर्यात में भारी कमी आ सकती है। ग्लोबल गारमेंट इंडस्ट्री प्रतिस्पर्धी है ऐसे में भारतीय इंडस्ट्री की चुनौती भी कठिन है।