मोबाइल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली :  मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की सरकारी रणनीति को तगड़ा झटका लगा है। देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट या असेंबली प्लांट लगाने के लिए सभी स्थानीय कंपनियों को जो 11.5 फीसदी टैक्स का लाभ दिया गया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।custom duty
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत में बने मोबाइल हैंडसेट्स के लिए एक्साइज ड्यूटी 1 फीसदी कर दी थी, जबकि सीवीडी यानी काउंटरवेलिंग ड्यूटी (किसी सामान के आयात पर वसूला जाने वाला शुल्क) बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया था। इस तरह देश से बाहर बने मोबाइल पर भारत में बने मोबाइल के मुकाबले 11.5 फीसदी ज्यादा शुल्क लगता। इस वजह से स्मार्टफोन बनाने वाली बड़ी कंपनियां भारत में कारखाने लगाने के लिए प्रेरित होतीं।
इस साल 1 मार्च को केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि केंद्रीय वैट क्रेडिट का लाभ नहीं लेने की स्थिति में उत्पाद शुल्क 12.5 फीसदी और सीवीडी 1 फीसदी देना होगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि चूंकि आयात करने वाले स्थानीय सप्लायर्स की तरह ही केंद्रीय वैट क्रेडिट का लाभ नहीं उठाते हैं, इसलिए उनके साथ भी स्थानीय सप्लायर जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जो कंपनियां भारत में मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने पर विचार कर रही थीं, उन्हें बड़ा झटका लगा है। हुआवेई के प्रवक्त ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हतोत्साहित करने वाला बताया है। वैसे माइक्रोमैक्स का कहना है कि घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग में इसके गेम प्लान में कोई बदलाव नहीं होगा। कंपनी अपनी रणनीति पर आगे बढ़ती रहेगी।

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