मेरठ में चार फर्मों की जांच करने गई टीम को एक भी फर्म नहीं मिली, जबकि इन फर्मों के जरिए करीब 22 करोड़ रुपये का कारोबार किया गया है। ये सारी फर्म सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) में रजिस्टर्ड हैं।
इनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया। विभागीय टीम को संदेह इसलिए हुआ, क्योंकि नवंबर-दिसंबर माह में ही इनका पंजीकरण हुआ और करोड़ों का टर्नओवर शुरू हो गया।
नई कंपनी का अचानक इतना टर्नओवर देख उन्होंने इन कंपनियों की जांच करने का निर्णय लिया। कॉपर, स्क्रैप, जिंक आदि का कथित कारोबार करने वाली ये फर्म नौचंदी थाना क्षेत्र में बताई गईं।
टीम वहां पहुंची तो पता चला कि यहां ऐसी कोई फर्म है ही नहीं। रजिस्ट्रेशन के दौरान दिए गए नंबर पर संपर्क किया तो वह बंद मिला। वाणिज्य कर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर ओपी वर्मा ने बताया कि बड़ा फर्जीवाड़ा लग रहा है। जांच जारी है।
इस तरह कर रहे जालसाजी
जालसाज बड़े पैमाने पर फर्जी टैक्स इनवॉइस तैयार करते हैं। इसके बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करते हैं। फर्जी कंपनियां को सिर्फ कागजों में बनाते हैं। कंपनियों का कहीं कोई ऑफिस नहीं होता है।
इन कंपनियों को जीएसटी के तहत पंजीकृत भी करा दिया जाता है। कामकाज के फर्जी बिल बनाए जाते हैं। बिना किसी लेन-देन के कंपनियों के नाम पर व्यापार दिखा कर टैक्स इनवॉइस तैयार कर लेते हैं और सरकार से मोटा रिफंड ले लेते हैं।