नई दिल्ली
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत केवल 16 प्रतिशत कारोबारियों के ही शुरुआती सेल्स रिटर्न का फाइनल रिटर्न के साथ मेल हो पाया। रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने इसमें संभावित कर चोरी की आशंका को देखते हुए इसका विश्लेषण शुरू कर दिया है।
रेवेन्यू डिपार्टमेंट के विश्लेषण के मुताबिक, 16.36 प्रतिशत कारोबारियों द्वारा भरे गए शुरुआती संक्षिप्त रिटर्न और टैक्स पेमेंट के आंकड़े ही उनके फाइनल रिटर्न और टैक्स लायबिलिटी से मेल खाते हैं। उन्होंने कुल 22,014 करोड़ रुपये का टैक्स पे किया है। हालांकि, आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड 49.36 प्रतिशत कारोबारियों ने जुलाई-दिसंबर के दौरान 91,072 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टैक्स पे किया है। जीएसटी के तहत उन्होंने 6.50 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जबकि उनके द्वारा दाखिल जीएसटीआर-1 दर्शाता है कि उनकी टैक्स लायबिलिटी 5.59 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए।
विभाग ने जुलाई- दिसंबर 2017 के दौरान 51.96 लाख कारोबारियों द्वारा दाखिल किए गए जीएसटी आंकड़ों का विश्लेषण किया है। देश में डायरक्ट टैक्स के क्षेत्र में किए गए सुधारों के तहत जीएसटी सिस्टम को 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था। इस आंकड़े पर ई.वाई. के पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, ‘जीएसटीआर-1 और उसके साथ ही जीएसटीआर- 3बी में जो फर्क दिख रहा है उसके बारे में हालांकि सरकार को विस्तारपूर्वक विश्लेषण करना होगा, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि इसमें जीएसटीआर- 1 में क्रेडिट-डेबिट नोट को पर ध्यान नहीं दिया गया जिसे कि जीएसटीआर- 3बी के आंकड़ों में शामिल किया जाना चाहिए था।’