जीएसटी: छह माह तक नहीं होगी सख्ती: वनजा सरना

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नई दिल्ली। जीएसटी व्यवस्था के तहत शुरू के तीन से छह महीने सख्ती नहीं बरती जाएगी। नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में व्यापारी और उद्यमी पूरी तरह से रच-बस जाएं इसलिए टैक्स अफसर कार्रवाई के मामले में बहुत तत्परता नहीं दिखाएंगे। उद्योग संगठन सीआइआइ के एक कार्यक्रम में पहुंचीं सीबीईसी की प्रमुख वनजा सरना ने कहा कि शुरूआती दिनों में समझ की कमी के कारण वास्तव में गलतियां हो सकती हैं।
इसे देखते हुए ही नई व्यवस्था को अमल में लाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इस मामले में नरम रहने को कहा गया है। छोटे-छोटे मामले बनाने की कोई मंशा नहीं है। नई व्यवस्था को अपनाने में समय लगना लाजिमी है। सीबीईसी उद्यमियों और व्यापारियों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। सरना के मुताबिक, जिस तरह के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) की पेशकश की जा रही है, उसके साथ असेसी का दायरा बढ़ना तय है। शुरू में किसी भी तरह के कठोर रुख को अपनाने से परहेज किया जाएगा। सभी चीजों के व्यवस्थित हो जाने का इंतजार किया जाएगा।
सरना ने कहा कि जीएसटी को पूरी तरह सफल बनाने की मंशा है। सीबीईसी के पास और भी बहुत काम हैं, जो उसे विरासत में मिले हैं। लिहाजा, अभी इसी में पूरी ताकत नहीं झोंक दी जाएगी।
सरना के अनुसार, एक जुलाई से लागू जीएसटी का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ट्विटर अकाउंट बनाया गया है। इसमें व्यापारियों और उद्यमियों के प्रश्नों के जवाब दिए जाते हैं। इस पर करीब 13 हजार सवाल रोज पूछे जा रहे हैं। इसी तरह 18 क्षेत्रवार समूह बनाए गए हैं। ये उद्योग के विभिन्न वर्गो के सामने आ रही समस्याओं को देखेंगे। इनमें से तीन समूहों ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है। इन रिपोर्टो को कानूनी समिति देख रही है।
सीबीईसी की अध्यक्ष ने स्वीकार किया कि बीते 18 दिनों में जीएसटी के क्रियान्वयन के दौरान खामियां दिखाई दी हैं। यह त्रुटि रहित नहीं है। कपड़ा, मनोरंजन कर और सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की ओर से समस्याएं उठाई गई हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि कोई बड़ी समस्या नहीं पैदा हुई। जो दिक्कतें आई हैं, उनसे समय के साथ निपटा जाएगा।
सरना बोलीं कि जीएसटी की दरों में कोई भी बदलाव तभी किया जाएगा जब उनमें किसी तरह की विसंगति हो या दरें न्यायोचित न हों। उनका यह कहना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कपड़ा व्यापारी कपड़े पर जीएसटी दर कम करने की मांग कर रहे हैं।

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