नई दिल्ली : जीएसटी रिफंड के आंकड़ों पर निर्यातकों और सरकार के परस्पर विरोधी दावों के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अब तक केंद्र और राज्य के स्तर पर जीएसटी रिफंड के कितने आवेदन और क्लेम फाइल किए गए हैं, कितने लंबित हैं और कितना रिफंड जारी हो चुका है।
दिल्ली सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन (एसटीबीए) की ओर से दाखिल याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्रशेखर की बेंच ने सरकार से आठ हफ्ते के भीतर काउंटर एफिडेविट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अब तक कुल कितने रिफंड एप्लिकेशन फाइल हुए हैं, कितनी रकम का रिफंड क्लेम किया गया है और कितने लंबित हैं। यह भी बताना होगा कि केंद्र और राज्य स्तर पर कितने एप्लिकेशन डिस्पोज किए हैं और किस मद में कितना रिफंड जारी हुआ है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि रिफंड लेने में आ रही दिक्कतों और शिकायतों पर अब तक सरकार की ओर से क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।
एसटीबीए के पूर्व प्रेसिडेंट संजय शर्मा ने बताया कि जीएसटी रिफंड को लेकर संशय का माहौल बना हुआ है। इंडस्ट्री और सरकार दोनों के दावों में काफी अंतर है और हम उम्मीद करते हैं कि कोर्ट में सरकारी हलफनामा दाखिल होने के बाद हकीकत सामने आ सकेगी। उन्होंने वित्त मंत्रालय के इस हालिया दावे की सच्चाई पर संदेह जताया कि अब तक करीब 71000 करोड़ रुपये के रिफंड जारी हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि बार एसोसिएशन इस मुद्दे पर कोर्ट में बहुत पहले चली गई थी, लेकिन अब जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वो चौंकाने वाले हैं। निर्यातकों का संगठन कह रहा है कि अब भी करीब 22,000 करोड़ के रिफंड लंबित हैं, जबकि सरकार आईजीएसटी के मद में 92. 68% क्लेम डिस्पोज करने का दावा कर रही है। सरकार का कहना है कि आईटीसी के अगेंस्ट भी केवल 2077 करोड़ के रिफंड ही लंबित है।
निर्यातकों का कहना है कि अब भी आईटीसी के अगेंस्ट रिफंड का प्रोसेस आंशिक रूप से ही डिजिटाइज हुआ है और आवेदन के बाद प्रिंट व अन्य दस्तावेज लेकर अधिकारियों के पास जाने की जरूरत बनी हुई है। जिससे रिफंड क्लीयरेंस में देरी हो रही है। दूसरी ओर सरकार लंबित रिफंड के पीछे रिटर्न और शिपिंग बिल की फाइलिंग में त्रुटियों को भी जिम्मेदार बता रही है। उसका कहना है कि इस बारे में टैक्स पेयर्स को सूचित किया जा चुका है।
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