गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) व्यवस्था में जल्द ही अब तक का सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके तहत जीएसटी की दरों को सरल बनाया जा सकता है और राज्यों की आमदनी बढ़ाने की भी कोशिश की जा सकती है। जीएसटी व्यवस्था 2017 में लागू हुई थी, जिसके बाद राज्यों को टैक्स रेवेन्यू के नुकसान में हुए भरपाई के लिए केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाता था। राज्यों को दिया जाने वाला यह जीएसटी मुआवजा इस साल जून में खत्म हो रहा है।
लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी के नई बदलावों को चरणों में लागू किया जाता है। इन बदलावों में टैक्स छूट में कटौती, जीएसटी टैक्स स्लैब के तहत सिर्फ तीन दरों को लागू करना और कच्चे माल व इंटरमीडियरीज पर टैक्स से जुड़ी विसंगतियों को दूर करना शामिल है।
केंद्र और राज्य सरकारें इन प्रस्तावित सुधारों को चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकती हैं, ताकि टैक्स में बदलावों को असर वस्तुओं के खपत पर कम से कम पड़ें।
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अगुआई वाला मंत्रियों का एक समूह (GoM) के जल्द ही इन बदलावों से जुड़े सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए बैठक करने वाला है। अंतिम सिफारिशें आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक में ली जाएंगी।
इन संशोधनों में टेक्सटाइल इंडस्ट्री के टैक्स रेट में बढ़ोतरी भी शामिल है, जो इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की खामियों को दूर करेगा। इससे पहले 31 दिसंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में टेक्सटाइल और अपैरल इंडस्ट्री के कई आइटम्स पर जीएसटी दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने के फैसले को टाल दिया गया था।
1 जुलाई को मौजूदा GST व्यवस्था के पांच साल पूरे होने पर राज्यों को दिया जाने वाला मुआवजा खत्म हो जाएगा। यह राज्यों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, लेकिन यह जीएसटी में ढांचागत बदलाव की राह भी खोलेगा। जीएसटी मुआवजा खत्म होने से राज्यों के बजट, खासतौर से बड़े अर्थव्यवस्था वाले राज्यों के बजट पर असर पड़ेगा। इसके चलते राज्यों को विभिन्न आइटम पर टैक्स छूट हटाकर और स्लैब की संख्या को कम करके राजस्व बढ़ाने के नए तरीके खोजने होंगे।
सौजन्य से: मनी कंट्रोल