नई दिल्ली : जल्द ही ऐसी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जिन्होंने ड्यूटी ड्रॉ-बैक का दावा तो कर रही हैं लेकिन एक्सपोर्ट्स से होने वाली 100 करोड़ से ज्यादा आय अभी तक भारत में नहीं ला सकी हैं। ब्लैकमनी पर बनी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने ईडी से ऐसी कंपनियों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कहा है।
एसआईटी ने डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) से भी ऐसी कंपनियों का डाटाबेस चेक करने और एक्शन लेने को कहा है। एसआईटी ने कहा कि डीआरआई यह पता करें कि कितनी कंपनियों ने ड्यूटी ड्रॉ-बैक लिया है। बता दें कि फेमा के तहत भारत से बाहर एक्सपोर्ट से होने वाली आय को एक तय समय में भारत लाना जरूरी होता है। हालांकि माना जा रहा है कि ये कंपनियां अपने एक्सपोर्ट प्रोसीड्स को भारत नहीं लाई हैं, वहीं वे ड्यूटी ड्रॉबैक का दावा कर रही हैं।
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से भी कहा है कि मंथली बेसिस पर ऐसे सभी डाटा ईडी और डीआरआई के साथ शेयर किए जाएं। आरबीआई से ऐसे मामलों पर एक इंस्टीटयूशनल मकैनिज्म और आईटी सिस्टम भी डेवलप करने को कहा गया है।
आरबीआई के रेग्युलेशन के मुताबिक सभी एक्सपोर्टर्स को एक्सपोर्ट डेट से एक साल के अंदर फॉरेन एक्सचेंज को देश में लाना होता है। यह सारा डाटा आरबीआई द्वारा मेनटेन किया जाता है। अगर एक्सपोर्टर फॉरेन एक्सचेंज को भारत नहीं लाती हैं तो यह फेमा का वायलेशन माना जाता है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि एक्सपोर्टर उसी कंडीशन में ड्यूटी ड्रॉ-बैक के लिए क्लेम कर सकते हैं, जब वे विदेश में होने वाली आय को देश में ले आएं। इसी वजह से डीआरआई को कहा गया है कि वे अपने डाटा बेस पर चेक करें कि कितनी कंपनियों ने ऐसा नहीं किया है। इसी वजह से डीआरआई को कहा गया है कि वे अपने डाटा बेस पर चेक करें कि कितनी कंपनियों ने ऐसा नहीं किया है।
सौजन्य से : मनी भास्कर