4 करोड़ के लोन घोटाले का पर्दाफाश

Image result for 4 करोड़ के लोन घोटाले का पर्दाफाशपटना। 28 लोगों के फर्जी नाम-पता के आधार पर 3 करोड़ 78 लाख रुपए लोन (कर्ज) लेकर डकारने का खुलासा हुआ है। इंडियन ओवरसीज बैंक की बोरिंग रोड शाखा से जुड़े इस मामले में शामिल रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद सीबीआई की टीम ने पटना से विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) तक आरोपियों के 12 ठिकानों पर छापेमारी की है। आरोपों के घेरे में तत्कालीन ब्रांच मैनेजर अमरेंद्र नाथ सिंहा, उप प्रबंधक अनुपम अंशु व अन्य हैं।
सूत्रों के मुताबिक इन दोनों बैंक अफसरों के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। फिर आरंभिक जांच के बाद राजधानी के अनीसाबाद, बोरिंग रोड के अलावा धनरुआ व अन्य जगहों पर आरोपियों के विभिन्न ठिकानों को खंगाला गया है। फिलहाल आरोपी मैनेजर की पोस्टिंग विशाखापट्टनम में होने के कारण वहां भी छापेमारी की गई। इस दौरान अलग-अलग ठिकानों से कई तरह के संदिग्ध पेपर व अन्य कागजात को जब्त कर ब्यूरो के अफसर उसकी पड़ताल में जुटे हैं।
बिना जांच-पड़ताल के 28 लोगों के नाम पर बांटे लोन
वर्ष 2013 से 2015 के बीच लोन की आड़ में हुए करोड़ों के इस घोटाले को अंजाम दिया गया। आलम यह था कि फर्जी नाम-पता भर कर आवेदन दिए गए और शाखा प्रबंधन के स्तर से बिना वेरिफिकेशन किए ही धड़ाधड़ 28 लोगों के नाम पर लोन पास कर दिए गए। बाद में संबंधित खातों के डिफॉल्टर होने पर जांच में कर्ज लेने वालों का नाम व पता फर्जी निकला। शक के घेरे में तत्कालीन ब्रांच मैनेजर, डिप्टी मैनेजर के साथ ही कई अन्य चेहरे भी हैं। सवाल यही है कि लोन के आवेदकों के नाम-पता या अन्य पहलुओं का सत्यापन किए बगैर कैसे लोन दे दिए गए? बहरहाल सबूत के आधार पर आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही कानूनी शिकंजा कसना तय है। साथ ही आने वाले दिनों में दोषी अफसरों के खिलाफ विभागीय स्तर पर भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है। कस्टम सुपरिटेंडेंट के ठिकानों को सीबीआई ने खंगाला।
सेंट्रल कस्टम के सुपरिटेंडेंट राम कुमार के खिलाफ लाखों के घोटाले का मामला दर्ज करने के साथ ही सीबीआई ने पटना और मेरठ में छापेमारी की है। दोनों शहरों में आरोपी अफसर के ठिकानों को खंगाला गया। इस दौरान कई कागजात आदि जब्त करके जांच टीम तफ्तीश कर रही है। दरअसल सुपरिटेंडेंट पर सीनियर अफसरों का फर्जी हस्ताक्षर करके 10 लाख रुपए गबन करने का आरोप है। करीब दो वर्ष पहले यह घटना यह घटना उस समय हुई थी जब कस्टम के मोतिहारी डिवीजनल आॅफिस में सुपरिटेंडेंट (अधीक्षक) सह डीडीओ के पद पर राम कुमार तैनात थे। सूत्रों के मुताबिक यात्रा विपत्र के साथ ही आॅफिस का सामान खरीदने व अन्य मदों की आड़ में हेराफेरी की गई थी। इस क्रम में तत्कालीन सुपरिटेंडेंट राम कुमार ने खुद ही सीनियर अफसरों (डिप्टी कमांडेंट व असिस्टेंट कमांडेंट) का फर्जी हस्ताक्षर करके कथित बिल को पास करने के साथ ही कैश निकाल लिए थे।
सामान खरीदे नहीं पर बिल पास हो गया विभागीय जांच में इस घोटाले की हकीकत सामने आई थी। सूत्रों के मुताबिक सामान की खरीद नहीं हुई पर उसके नाम पर लाखों के फर्जी बिल बनाए गए। आखिरकार मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला सीबीआई तक पहुंच गया। बहरहाल सीबीआई से जुड़ी एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) की टीम ने सभी संभावनाओं पर तफ्तीश शुरू कर दी है। इस क्रम में गबन से जुड़े कागजातों का जांच टीम अध्ययन कर रही है। आने वाले दिनों में आरोपी सुपरिटेंडेंट राम कुमार के अलावा विभाग के अन्य अफसरों व कर्मियों से भी पूछताछ होगी।

सौजन्य से : दैनिक भास्कर

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