12% जीएसटी और मंडी टैक्स के बाद अब 2% किसान कृषि टैक्स से घी उद्योग पर संकट, आमजन पर बढ़ेगा बोझ

जोधपुर. एशिया की सबसे बड़ी घी की मंडी कहे जाने वाले जोधपुर में घी उद्योग पर संकट छाया है। एक सप्ताह पहले सरकार के किसान कृषि के तौर पर दो प्रतिशत नया टैक्स जोड़ने से घी की बिक्री पर असर पड़ने की आशंका है। लॉकडाउन से पहले रोजाना पांच हजार टिन घी की बिक्री होती थी, जो अब घट चुकी है। नए टैक्स का आमजन पर बोझ पड़ेगा, वहीं घी व्यापारियों में पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने का भय है।

जीएसटी और मंडी टैक्स के बाद 2 प्रतिशत और किसान कृषि टैक्स के नाम से नया कर लगाया गया है। केवल राजस्थान में ही मंडी टैक्स लिया जा रहा है। आसपास के किसी भी राज्य में मंडी टैक्स नहीं लिया जाता है। अब किसान कृषि टैक्स भी जोड़ दिया है। जीएसटी के साथ इन दोनों कर की वसूली आमजन से की जानी है। वैसे भी जीएसटी से पूर्व तेल और घी सहित खाद्य सामग्री पर वैट एक समान 5 प्रतिशत लिया जाता था, लेकिन जीएसटी आने के बाद तेल पर तो 5 प्रतिशत टैक्स है, लेकिन घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी है। उसके पश्चात 1.60 प्रतिशत वैल्यू पर टैक्स जोड़ दिया गया। अब तो सीधे 2 प्रतिशत टैक्स किसान कृषि के तौर लगा दिया है।
नकली घी बनाने और उसका कारोबार करने वालों की राह आसान होगी
घी की ज्यादा खपत होने से नकली घी का कारोबार भी तेजी से फैला है। देसी घी पर बढ़ते टैक्स के कारण घी का मंडी आना कम हो सकता है और वह मंडी से बाहर छोटी दुकानों व अन्य स्थानों पर बिक सकता है। इससे नकली घी का काम करने वालों को मौका मिलेगा और वे नकली घी बाहर आसानी से बेच सकेंगे। साथ ही लोग राजस्थान के बजाय पड़ोसी राज्यों से घी मंगवाना शुरू करेंगे, जिसका असर यहां पर पड़ेगा।

 

सौजन्य से: दैनिक भास्कर