इंदौर. (संजय गुप्ता ) कोरोना से जंग में सबसे जरूरी पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर जैसी चीजों पर भी जीएसटी लग रहा है। जिस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से इसका उपचार हो रहा है, वह भी 12% जीएसटी के कारण महंगी मिल रही है। हालांकि इस पर अब तक न ताे केंद्र सरकार कोई निर्णय ले पाई, न ही जीएसटी काउंसिल। अब जब इंदौर में इसके सबसे ज्यादा मरीज हो चुके हैं, डॉक्टर्स व मेडिकल क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि काउंसिल की बैठक कर इन चीजों पर टैक्स छूट देना चाहिए। इसका फायदा मरीजों के साथ राज्य सरकार को भी होगा, क्योंकि उसे ही इन पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है।
टैक्स कंसल्टेंट आरएस गोयल के मुताबिक, अगर मास्क पर 5 फीसदी टैक्स हट जाए तो 200 रुपए के बजाय 190 रुपए में मिलेंगे। पीपीई किट जो सबसे ज्यादा काम आ रही, उस पर 12 प्रतिशत टैक्स हटा दिया तो ये 120 रुपए सस्ती हो जाएगी।
टैक्स नहीं लगे तो मप्र सरकार को किट में ही बच जाएंगे 1.98 करोड़
राज्य सरकार ने अभी तक 1.65 लाख पीपीई किट का आर्डर दिया हुआ है। जो औसतन एक हजार की कीमत से भी 16.50 करोड़ रुपए की होती है। इस पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी करीब 1.98 करोड़ रुपए का हो जाता है। यदि यह टैक्स नहीं लगे तो इसी राशि से मप्र शासन 19800 किट और ले सकता है।
इसी तरह शासन ने एन-95 मास्क सवा दो लाख बुलाए हैं।इसकी 150 रुपए की औसत कीमत से कुल कीमत 3.37 करोड़ रुपए और पांच फीसदी दर से टैक्स 16.87 लाख होता है। यह टैक्स नहीं लगे तो 11246 और मास्क आ जाएंगे। वहीं शासन ने 56 लाख थ्री लेयर मास्क बुलाए हैं, औसत कीमत 20 रुपए से यह कुल 11.20 करोड़ के होते हैं और जीएसटी पांच फीसदी से 56 लाख होता है। यह टैक्स नहीं लगे तो 2.80 लाख और मास्क आ सकते हैं।