सर्विस टैक्स बढ़कर हुआ 15 फीसदी रेवेन्यू कलेक्शन में भारी वृद्धि

नई दिल्ली : कृषि कल्याण सेस के लागू होने के बाद भारत में सर्विस टैक्स की दर अब 15 फीसदी है। यहां बहुत सी ऐसी सर्विसेस हैं, जिन पर सर्विस टैक्स लगता है। भारत सरकार के लिए इनडायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू में सर्विस टैक्स एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है। भारत में सर्विस टैक्स को पहली बार 1994 में लगाया गया था, तब डा. मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्राी थे।
देश में सबसे पहले 1994 में सर्विस टैक्स लगाया गया था। वित्त वर्ष 1994-95 के अपने बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्राी डा. मनमोहन सिंह ने सर्विस टैक्स की जरूरत पर बल दिया था।
उन्होंने कहा था कि हालांकि जीडीपी में सर्विस सेक्टर का योगदान 40 फीसदी है और इस पर कोई टैक्स नहीं है। टैक्स सुधार कमेटी की सिफारिश के आधार पर उन्होंने केवल तीन सर्विसेस टेलीफोन बिल, नॉन-लाइफ इंश्योरेंस और टैक्स ब्रोकर्स पर 5 फीसदी की दर से सर्विस टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया।
सर्विस टैक्स दौर की शुरुआत तीन सर्विसेस के साथ 1994 में हुई थी और 2011-12 तक बढ़कर इसके दायरे में 119 विभिन्न सर्विसेस आ चुकी थीं।
1996 में तीन और सर्विसेस एडवर्टाइजिंग एजेंसी, कुरियर एजेंसी और रेडियो पेजर सर्विसेस को टैक्स के दायरे में लाया गया। 1997 में इनकी संख्या बढ़कर 15 हो गई और इसके दायरे में एयर ट्रेवल एजेंट्स, मंडप कीपर्स, मैन पावर रिक्रूटमेंट एजेंसी को लाया गया।
2011-12 में टैक्स के दायरे में आने वाली सर्विसेस की संख्या बढ़कर 119 हो गई। 2011-12 में एयर कंडीशन्ड रेस्ट्रोरेंट और होटल रूम को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया।
2012 से सर्विस टैक्स लगाने का पूरा सिस्टम ही बदल गया। कुछ सर्विसेस पर टैक्स लगाने के बजाये निगेटिव लिस्ट को छोड़कर सभी सर्विसेस को टैक्स के दायरे में लाया गया। 2012 में निगेटिव लिस्ट में 39 विभिन्न सर्विसेस थीं, जो सर्विस टैक्स से मुक्त थीं। तब से हर साल इस लिस्ट को संशोधित किया जा रहा है।
1994 में सर्विस टैक्स का रेट 5 फीसदी था जो 2016 में बढ़कर 15 फीसदी हो गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो 22 साल में सर्विस टैक्स रेट तीन गुना बढ़ चुका है। 1994-95 से लेकर 2002-03 तक सर्विस टैक्स का रेट लगातार 5 फीसदी ही रहा, जबकि इस दौरान हर साल सर्विस टैक्स की लिस्ट बढ़ती गई।
2003 में सर्विस टैक्स रेट को 60 फीसदी बढ़ाकर 5 से 8 फीसदी किया गया। इसके अगले साल इसे 8 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी किया गया। 2004 में यूपीए-1 सरकार ने एजुकेशन सेस लगाया। सर्विस टैक्स एमाउंट पर दो फीसदी की दर से एजुकेशन सेस लगाया गया। इस वजह से नेट टैक्स रेट बढ़कर 10.2 फीसदी हो गया।
2006 में, सर्विस टैक्स रेट 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया। इसके अलावा 1 फीसदी सेकैंडरी एंड हायर एजुकेशन सेस भी इस साल जोड़ा गया। इससे नेट सर्विस रेट बढ़कर 12.36 फीसदी हो गया। 2009 तक यह 12.36 फीसदी बना रहा और 2010 से जीएसटी लागू करने के तहत तब इसे घटाकर 10.3 फीसदी कर दिया गया।
2012 में दोबारा सर्विस टैक्स रेट को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया, जबकि ओवरऑल सर्विस टैक्स बढ़कर फिर से 12.36 फीसदी हो गया।
2015 तक यह 12.36 फीसदी ही रहा और एनडीए सरकार ने एजुकेशन सेस समेत इसे बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया। इसके अलावा 0.5 फीसदी स्वच्छ भारत सेस लगाकर इसे 14.5 फीसदी कर दिया गया। 2016-17 में बेस रेट को तो अपरिवर्तित रखा गया लेकिन 0.5 फीसदी कृकृषि कल्याण सेस लगाया गया, जिससे सर्विस टैक्स का रेट बढ़कर 15 फीसदी हो गया।
1994-95 में सर्विस टैक्स का रेवेन्यू 407 करोड़ रुपए था। 2015-16 में यह रेवेन्यू बढ़कर 2,10,000 करोड़ रुपए हो गया। यह 500 गुना से ज्यादा की वृद्धि को दर्शाता है।
सर्विस टैक्स रेवेन्यू तब से बढ़ना शुरू हुआ, जब इसके रेट को 5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी किया गया।
2009-10 को छोड़कर बाकी सभी वित्त वर्ष में सर्विस टैक्स रेवेन्यू का कलेक्शन पूर्व वित्त वर्ष की तुलना में अधिक ही रहा है।
सौजन्य से : इंडिया टी.वी.

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