अगर अपरोच का खेल न होता तो ये लिस्ट लंबी हो सकती थी कई बड़े नाम छोड़ दिये गये।
नई दिल्ली : सरकार ने हाल ही में दो कमिश्नर लेवल के अधिकारियोंं सहित कस्टम्स और सेंट्रल एक्साइज के 15 कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया है। यह देश की सिविल सर्विसेज के रास्ते में बड़ा मोड़ हो सकता है।
सरकार ने इन लोगों को नौकरी से निकालने के लिए एक ऐसे खराब परफामेंस के आधार पर नौकरी से निकालने वाले एक रूल का इस्तेमाल किया है डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड टे्रनिंग के फंडामेंटल रूल्स के रूल 56जे का इससे पहले इस्तेमाल सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम ने 1985 में किया था। यह रूल सरकार को उस कर्मचारी के परफॉर्मेंस का रिवयू करने का अधिकार देता है जिसकी आयु 50 वर्ष की हो या जिसने 35 वर्ष की नौकरी पूरी कर ली हो।
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्राों ने बताया कि सरकार इस कदम से एक उदाहरण तय करने के साथ ही यह दिखाना चाहती है कि वह कर्मचारियों के प्रदर्शन पर नजर रखेगी और किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। भारत सरकार की नौकरी आमतौर पर रिटायरमेंट तक के लिए सुरक्षित मानी जाती है।
हालांकि, कुछ चुनिंदा अधिकारियों को बर्खास्त भी किया जाता है, लेकिन उसके पीछे उनका व्हिसल ब्लोअर होना या बहुत भ्रष्टाचार के आरोप जैसे कारण होते है।
खराब प्रदर्शन के आधार पर सरकारी नौकरी से बाहर करना बहुत कम देखा गया है।
हालांकि, सरकार का हाल का कदम प्रदर्शन पर आधारित था और इसके पीछे विजिलेंस से जुड़ी कोई कार्रवाई नहीं थी।
सीबीईसी ने बताया कि अधिकारियों को बर्खास्त करने से पहले विस्तृत समीक्षा की गई थी। यह कदम पिछले कुछ दिनों में उठाया गया है।
उन्होने कहा, ‘परफॉमेस का रिव्यू दो चरणों वाला प्रोसेस है। रिव्यू सीबीईसी और डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू के पैनल करते हैं और प्रत्येक अधिकारी के पिछले रिकार्ड को बारिकी से देखा जाता है।