देशभर में जारी ज्वेलर्स की हड़ताल और सोने पर सतर्कता एजेंसियों की सख्ती से बढ़ते जोखिम से परेशान तस्कर अब कर रहे है सिगरेट की तस्करी
नई दिल्ली. देशभर में जारी ज्वेलर्स की हड़ताल और सोनें पर सतर्कता एजेंसियों की सख्ती से बढ़ते जोखिम से परेशान तस्कर अब सिगरेट की तस्करी को ज्यादा फायदे का धंधा मान रहे हैं और सोना छोड़ सिगरेट की तस्करी की और ध्यान दे रहे हैं। लंबे समय से सोने की तस्करी करने वाले तस्करों को अब देश में गैर कानूनी तरीके से सोने का आयात करने पर भारी जोखिम नजर आ रहा है और उनका मार्जिन भी कम होते जा रहा है। इसकी तोड़ निकालते हुए तस्कर अब अपने नेटवर्क का इस्तेमाल देश में गैर कानूनी तरीके से सिगरेट लाने में कर रहे हैं और इस पर ज्यादा मुनाफा भी कमा रहे हैं। विश्व स्वर्ण परिषद का आंकलन है कि 2014 में गैर कानूनी तरीके से करीब 200 टन सोना भारत में लाया गया था। वही जीएफएमएस थॉमसन रॉयटर्स के मुताबिक 2015 में देश में तस्करी के जरिए महज 100 टन सोना आने का अनुमान है। दस रुपए की सिगरेट को कानूनी तरीके से आयात करने पर उसकी कीमत 220 रुपए हो जाती है। वहीं आयात शुल्क का भुगतान नहीं कर और तस्करी से सिगरेट लाने पर मोटा मुनाफा है। तस्कर डेविड ऑफ, गुडंग गरम, एसेस लाइ्टस, स्लिम्स मूड्स, जरूम ब्लैक, डनहिल स्विच और मॉन्ड ब्रांड की मंहगी सिगरेटों की तस्करी करते हैं। खुफिया एजेंसी के अधिकारी का कहना है कि डीआरआई ने पिछले 18 माह में तस्करी से लाई जा रही सिगरेटों के करीब 50 से ज्यादा कंटेनर पकड़े हैं, जिनकी कीमत करीब 250 करोड़ रुपए है। इन्हें आमतौर से दुबई से स्मगलिंग किया जा रहा है। भारत में पहले कभी इतनी बड़ी तादाद मे सिगरेट जब्त नहीं की गई। डीआरआई के अधिकारी का कहना है कि पिछले कुछ समय से सिगरेट पर आयात शुल्क और स्थानीय करों में काफी इजाफा हुआ है, जिससे तस्कर इसे अवैध तरीके से लानें में लगे हुए है।