नई दिल्ली : हाई कोर्ट ने दिल्ली के वैट कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह रजिस्ट्रर्ड डीलरों से वैट (मूल्यवर्धित कर) के तहत वसूली गई राशि वापस (रिफंड) करें। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता टैक्सेशन बार एसोसिएशन को भी इस बारे में दो हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है कि किन-किन लोगों का पैसा बकाया है।1याचिकाकर्ता के वकील वासुदेव लालवानी व दिनेश कुमार गुप्ता ने अदालत को बताया था कि उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना के अधिकार के तहत वैट विभाग पर बकाये की जानकारी मांगी थी। आयोग ने जो रिपोर्ट दी उसके अनुसार वर्ष 2011 से 2016 तक रजिस्ट्रर्ड डीलरों ने वैट विभाग में 3197,54,80,712 अरब रिफंड क्लेम किया है। वैट विभाग ने अभी तक केवल 943,95,94, 336 अरब ही बकाया वापस किया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि विभाग काम में लापरवाही बरत रहा है। डीलरों का समय पर पैसे वापस नहीं करता है, जबकि दो माह के भीतर पैसे वापस किए जाने हैं। सुनवाई के दौरान वैट विभाग के वकील ने कहा था कि विभाग तय प्रक्रिया के तहत पैसे वापस करता है। जो पैसा बकाया है, उसे दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। पैसे वापस करने से पहले मूल्यांकन होता है। डीलरों से फार्म लिए जाते हैं। ऐसे में याचिका रद की जाए।
सौजन्य से :दैनिक जागरण