मेंगलुरुः बंदरगाह के मजदूरों ने बिना काम के हर महीने कमाए 2.5 लाख रुपये

मंगलुरु : कर्नाटक के मेंगलुरु में नए सरकारी बंदरगाह में काम करने वाले मजदूर अपनी सपनों की जिंदगी जी रहे हैं। वह हर महीने 2.5 लाख रुपये अपने घर भेज रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्हें कोई भी शारीरिक काम नहीं करना पड़ रहा है। यह आपको आश्चर्यजनक लग रहा होगा, पर बिल्कुल सच है।

यह बात तब सामने आई जब न्यू मेंगलुरु पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष एम. टी. कृष्णा बाबू ने चार्ज लेने के बाद सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक की। ट्रेडर्स ने उन्हें बताया कि चार मोबाइल बंदरगाहों के क्रेन में बहुत ज्यादा भुगतान लिया जाता है, इसलिए उन लोगों ने अब दूसरे क्षेत्रों में रुख कर लिया है। हर शिफ्ट में 10

मजदूर तैनात
बाबू ने बताया कि प्रत्येक क्रेन के हर शिफ्ट में 10 मजदूर तैनात किए गए थे। इसे नैशनल बुकिंग के तौर पर जाना जाता है। इसका मतलब है कि बिना किसी काम के यहां मजदूरों की बुकिंग की गई। हर महीने इन मजदूरों को 60,000 से 80,000 रुपये भुगतान किया गया।

इसी तरह पिछले महीने तक जहाजों में लोडिंग-अनलोडिंग के लिए स्टीवडोर (जहाजों में सामान उतारने और चढ़ाने वाले) मजदूरों को 3 रुपये हर एक टन माल के लिए मजदूरी का भुगतान किया गया। दिलचस्प बात यह है कि 1.30 रुपये चेक से भुगतान किया गया। बाकी रुपये उन्हें कैश दिए गए। बाबू ने बताया, ‘मैंने मजदूर यूनियन के साथ और विभिन्न समूहों के साथ बैठक की और उन्हें कहा कि बंदरगाह की भलाई के लिए इस तरह का काम बंद कर दें। हम लोगों ने उन्हें 15 दिन का समय दिया है।’

अब अन्य बंदरगाहों पर भी अलर्ट
इस बंदरगाह को लेकर एक और बात सामने आई कि जिन मजदूरों को बहुत ज्यादा भुगतान किया गया, वे क्रेन ऑपरेटरों को कमिशन देते हैं ताकि वे अधिक माल ढुलाई सकें। अधिकारियों ने कहा कि हो सकता है पोर्ट ट्रस्ट और श्रमिक संघ बंदरगाह मशीनीकरण के साथ मिलकर हड़ताल कर दे। न्यू मेंगलुरु पोर्ट में यह बात सामने आने के बाद शिपिंग मंत्रालय ने 11 दूसरे बड़े बंदरगाहों से कहा है कि वे अपने यहां इस बात की चेकिंग करें कि वहां तो इस तरह का काम नहीं हो रहा।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स

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