फॉरेन ट्रेड़ को बढ़ाने के लिए सरकार ड्राई पोर्टों में बदलाव करने की तैयारी में

Image result for ड्राई पोर्टनई दिल्ली। देश के फॉरन ट्रेड को बढ़ाने के लिए एक्सपोर्टर्स और इम्पोर्टर्स की इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी मुश्किलों को दूर करने के मकसद से सरकार लगभग 300 ड्राई पोर्ट को ओवरहॉल करेगी। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने ड्राई पोर्ट से जुड़े कानूनों उन्हें मिलने वाली सब्सिडी और फंडिंग के पैटर्न के आकलन और उन्हें ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के मुताबिक बनाने के लिए योजना बनानी शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने बताया हम ड्राई पोर्ट के लिए रेग्युलेटरी मैकेनिज्म का आकलन कर रहे हैं। इनमें उनसे जुड़े कानून और पोर्ट का कामकाज शामिल है।
आकलन में ड्राई पोर्ट कहे जाने वाले इनलैंड कंटेनर डिपो की तुलना लगभग 10 देशों में इस तरह के पोर्ट के कामकाज से की जाएगी। सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत देश में पोर्ट का डिवेलपमेंट करने का लक्ष्य है। कंटेनर फ्रेट स्टेशंस और एयर फ्रेट स्टेशंस में अधिक दिलचस्पी को देखते हुए यह स्टडी की जा रही है। सागरमाला प्रोजेक्ट की लागत 8 लाख करोड़ रुपये की है।
दिल्ली के एक ट्रेड एक्सपर्ट ने बताया एक ड्राई पोर्ट डिवेलप करने की कॉस्ट अधिक होती है। इन पोर्ट पर कार्गो के मूवमेंट की प्रक्रिया पुरानी हो चुकी है। इसके लिए कई डिपार्टमेंट से क्लीयरेंस भी लेनी पड़ती हैं। ड्राई पोर्ट एक इनलैंड टर्मिनल होता है जो इंटरनेशनल फ्रेट के लिए हैंडलिंगए टेम्परेरी स्टोरेज इंस्पेक्शन और कस्टम्स क्लीयरेंस जैसी सर्विसेज दी जाती हैं। ये पोर्ट आमतौर पर ऐसी जगहों पर होते हैं जहां ट्रांसपोर्ट के विभिन्न जरिए मिलते हैं। यह रेल या रोड के जरिए समुद्री पोर्ट से सीधा जुड़ा होता है।
इस कदम से फॉरेन ट्रेड को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। स्टडी में ट्रेड से जुड़ी ट्रांजैक्शन कॉस्ट का विश्लेषण भी किया जाएगा। इसके जरिए लोकेशन और लॉजिस्टिक्स मिक्स के आधार पर नए ड्राई पोर्ट बनाने का भी लक्ष्य है। नवंबर में देश का एक्सपोर्ट एक वर्ष पहले के इसी महीने की तुलना में 30 पर्सेंट बढ़ा था। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2017-18 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 300 अरब डॉलर से कम रह सकता है। 2016-17 में देश का एक्सपोर्ट 274.6 अरब डॉलर का था।
स्टडी में परफॉर्मेंस की निगरानी और अन्य देशों में प्राइसिंग रेग्युलेशंस भी शामिल होंगे। इस स्टडी और ड्राई पोर्ट्स के कामकाज में एफिशिएंसी लाने के सुझाव प्राप्त करने के लिए सरकार एक कंसल्टेंसी फर्म को जोड़ने पर विचार कर रही है। सरकार की योजना भारतीय आॅपरेशनल स्टैंडर्ड्स के साथ इंटरनेशनल बेस्ट प्रैक्टिसेज को बेंचमार्क करने के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की पहचान करने की भी है। अधिकारी ने बताया हम ड्राई पोर्ट्स को अन्य पोर्ट्स और दूरदराज के क्षेत्रों से जोड़ने के लिए प्रैक्टिसेज की पहचान करेंगे। ड्राई पोर्ट्स को लॉजिस्टिक्स सप्लाई चेन में सुधार करने और समुद्री पोर्ट की कपैसिटी से जुड़ी मुश्किलों को कम करने के लिए बेहतर माना जाता है।

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