पेट्रोल और डीजल पर सेंट्रल एक्‍साइज रेवेन्‍यू से सरकार ने कमाए 58,000 करोड़ रुपए

 तेल पर सरकार का खेल  
  सुनील रावत,  
मोदी जी की किस्मत का सर्वर डाउन है और पेट्रोल 3 रूपये 96 पैसा और डीजल ढाई रुपया मंहगा हो गया. पूछने पर तर्क होता है की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमत बढ़ गई साब हम क्या करें ? लेकिन कच्चे तेल की कीमत तो पिछले एक साल के दौरान आधी से भी काम हो गई मनमोहन सरकार के दौर में इंटरनेशनल मार्किट में हमेशा 100  अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहता था वह अब 63.61 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल पर है तो इस लिहाज से पेट्रोल की कीमत तो बहुत कम हो जनि चाहिए.  तो क्या पेट्रोल डीजल के दाम भी आधे से कम हुए जी नही यही सरकार का तेल का खेल है. क्योंकि सरकार ने इस घटी कीमत का फायदा उपभोक्ताओं को न देकर खुद अपना खजाना भरकर किया.
 1 जनवरी 2014 से 31 जनवरी 2015 के दौरान पेट्रोल और डीजल पर सेंट्रल एक्‍साइज रेवेन्‍यू (प्रॉविजनल) तकरीबन 58,000 करोड़ रुपए रहा है। लेकिन, कच्चे तेल के दामों में इजाफा के बावजूद सरकार ने अभी एक्साइज ड्यूटी में किसी भी तरह की कटौती नहीं की है।
सरकार ने अब तक तीन बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है। एक्साइज ड्यूटी न बढ़ती तो पेट्रोल 5.75 रुपये और डीजल 4.50 रुपये और सस्ता होता । अब यह पैसा इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तौर पर सरकारी खजाने में जाएगा। सरकार ने इससे पहले 12 नवंबर को पेट्रोल और डीजल पर 1.50 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इसके बाद दिसंबर में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 2.25 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर एक रुपया प्रति लीटर बढ़ाई गई थी।
एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के चलते मौजूदा वित्त वर्ष में ही सरकार को करीब 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। इससे सरकार को राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.1 पर्सेंट पर रखने का टारगेट पूरा करने में मदद मिलेगी। ऑइल प्राइसेज में तेज गिरावट नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत की बात है। एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता तो फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को हासिल कर पाना मुश्किल होता। मौजूदा फाइनैंशल इयर के सात महीनों में ही यह पूरे साल के अनुमान के 89.6 पर्सेंट पर पहुंच चुका था।
सरकार कीमतें बढ़ाए बगैर पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी इसलिए बढ़ा सकी, क्योंकि इन दोनों ट्रांसपोर्ट फ्यूल को मार्केट रेट से ज्यादा दाम पर देश में बेचा जा रहा था, जबकि एक दिसंबर को फैसला किया गया था कि पेट्रोल के पम्प प्राइस में 91 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 48 पैसे प्रति लीटर कमी की जाएगी। पंप डीलर्स का कहना है कि अगस्त से पेट्रोल की कीमत सात बार घटाए जाने और डीजल की कीमतों में तीन बार की गई कमी के बावजूद इनकी रीटेल प्राइस क्रूड की घटती इंटरनैशनल प्राइसेज के मुताबिक नहीं है।
 इस साल जून से ग्लोबल क्रूड प्राइसेज करीब 40 पर्सेंट घटी हैं, लेकिन रिफाइनर्स ने बाजार से तय होने होने वाले एलपीजी के रेट में 17 पर्सेंट, एविएशन टर्बाइन फ्यूल में 14 पर्सेंट, पेट्रोल में 11 पर्सेंट और डीजल में 8 पर्सेंट कमी ही की है। साल 2014 जून में ब्रेंट क्रूड का दाम 115 डॉलर प्रति बैरल था, जो अब 63 .61  अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल आसपास है।
ध्यान रहे कि अभी सरकार ब्रैंडेड पेट्रोल पर 10.10 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी के रूप में वसूलती है। सरकार ने वादा किया था कि जब तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी तो वह एक्साइज ड्यूटी में कटौती करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
पेट्रोल, डीजल पर सरकार वसूल रही ज्यादा टैक्स
2014-15 में सरकार ने कच्चे तेलों के दामों गिरावट के बाद पेट्रोल और डीजल पर कई बार एक्‍साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इससे सरकार को इस साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्‍य को हासिल करने में भी मदद मिली। वर्तमान में अनब्रैंडेड पेट्रोल पर एक्‍साइज ड्यूटी 8.95 रुपए प्रति लीटर और ब्रैंडेड पेट्रोल पर 10.10 रुपए प्रति लीटर है। इसी तरह अनब्रैंडेड डीजल पर एक्‍साइज ड्यूटी 7.96 रुपए प्रति लीटर और ब्रैंडेड डीजल पर 10.25 रुपए प्रति लीटर है।
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