नकली हीरे हो रहे हैं इम्पोर्ट

मुंबई : डायमंड ट्रेड से जुड़े एक दिग्गज कारोबारी ने कहा, ‘क्या आपने भारत में किसी भी जूलर्स को सिन्थेटिक डायमंड बेचते देखा है? क्या आपको इस तरह का कोई ब्रैंड या विज्ञापन दिखा है? हमारे धंधे में सबको पता है कि सिन्थेटिक डायमंड इंपोर्ट हो रहा है। ऐसा लगता है कि कई लोग इस सस्ते हीरे को असल डायमंड में मिलाकर बेच रहे हैं। ऐसे कुछ लोगों के चलते पूरी इंडस्ट्री का नाम खराब होगा।’
पिछले कुछ सालों में यह शक लगातार गहरा होता गया है। एक हालिया डिवेलपमेंट के चलते नैचरल और सिंथेटिक डायमंड के डीलरों के बीच टकराव बढ़ सकता है। 15 दिन पहले कॉमर्स मिनिस्ट्री ने सिन्थेटिक डायमंड के इल्लीगल ट्रेड के बारे में आगाह किया था। उसने मुंबई की एक ट्रेड असोसिएशन से पूछा था कि दोनों डायमंड में कैसे फर्क किया जा सकता है। सिन्थेटिक डायमंड के ज्यादातर सौदे मुंबई में ही हो रहे हैं।
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने सिन्थेटिक डायमंड के बारे में दूसरे देशों के इंपोर्ट के तौर-तरीकों की भी जानकारी मांगी थी। सिन्थेटिक डायमंड असल डायमंड की तुलना में 30-50 पर्सेंट तक सस्ते होते हैं। सिन्थेटिक डायमंड्स विदेश में लैब में बनाए जाते हैं। वहां से ये सूरत और मुंबई के ट्रेडर्स के पास पहुंचते हैं।
हर कमोडिटी का एक नंबर वाला कोड होता है, जिसके बारे में उसे देश में लाते वक्त कस्टम डिपार्टमेंट को बताना पड़ता है। इसे हार्मनाइज्ड कमोडिटी डिस्क्रिप्शन ऐंड कोडिंग सिस्टम या एचएस कोड कहते हैं। भारत में सिन्थेटिक डायमंड के लिए अलग से कोड नहीं है। देश में जो सिन्थेटिक डायमंड आता है, उसे 7104 कैटिगरी में डाला जाता है। यह अलग-अलग तरह के सिन्थेटिक स्टोन की कैटिगरी है। अलग कोड नहीं होने के चलते सरकार या ट्रेड असोसिएशन के लिए यह बताना मुश्किल है कि देश में कितना सिन्थेटिक डायमंड आ रहा है।
डायमंड इंडस्ट्री के प्रवक्ता संजय कोठारी ने कहा, ‘चीन में नैचरल और सिन्थेटिक डायमंड के लिए अलग कोड हैं। हम सरकार से देश में ऐसा ही सिस्टम लागू करने के लिए कह रहे हैं। सिन्थेटिक डायमंड पर ड्यूटी भी लगनी चाहिए।’ करीब 74 पर्सेंट सिन्थेटिक डायमंड सूरत में आता है और यहां से देश का करीब 94 पर्सेंट डायमंड एक्सपोर्ट किया जाता है। मुंबई में एक डायमंड हाउस से जुड़े सूत्र ने बताया, ‘सिन्थेटिक डायमंड को नैचरल डायमंड में आसानी से मिलाया जा सकता है। पॉलिश होने के बाद दोनों में फर्क का पता नहीं चलता। किसी जूलरी में लगने के बाद डायमंड की जांच भी नहीं हो सकती।
स्रोत : नवभारत टाइम्स
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