देश के पोट्‍​र्स पर 24×7 सिंगल विंडो इंटरफेस शुरू होने से कस्टम क्लीयरेंस में कम समय लगेगा

नई दिल्ली : इंपोर्टेड चॉकलेट, और दवाएं, कपड़े और प्लांट प्रॉडक्टस भारत लाने में अब अधिक समय नहीं लगेगा। कस्टम पोट्‍​र्स पर अब भारत 24×7 सिंगल विंडो इंटरफेस शुरू करने वाले दुनिया- के गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है। इससे ऐसे सामान का जल्द आयात संभव होगा।
इंपोर्टर्स और एक्सपोर्टर्स को अब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड्‍​र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया सहित सभी एजेंसियों से क्लीयरेंस लेने के लिए एक ही फार्म भरना पड़ेगा। अभी सारे इंपोर्टेड़ कंसाइनमेंट की जांच होती है इस नए रूल के लागू होने के बाद रिस्क के आधार पर ही किसी शिपमेंट की जांच होगी। इस पहल से कस्टम पेपरवर्क कम होगा। पहले इंपोर्ट करने के लिए 9 फार्म भरने पड़ते थे, जिसके बजाय अब बस एक फार्म भरना होगा वहीं, कार्गो क्लीयरेंस में सिर्फ दो से तीन दिन लगेंगे। इससे टे्रडर्स को ट्रांजैक्शन कॉस्ट घटाने में मदद मिलेगी। फाइनेंस मिनिस्टर अरूण जेटली ने इस बार के बजट में सिंगल विंडो कस्टमर्स का ऐलान किया था
इस पहल से वल्‍​र्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैकिंग में भारत की स्थिति बेहतर हो सकती है। अभी ट्रेडिंग एक्रॉस बॉर्डर्स के मामले में उसे 133वीं रैंकिग मिली हुई है क्योंकि यहां पेपरवर्क पूरा करने में काफी समय लगता है और उससे कॉस्ट बढ़ जाती है इंपोर्ट के लिए बार्डर कंप्लायंस में 311 घंटे लगते है, जबकि अमीर देशों में यानी ओईसीडी में यह 9 घंटे हे।
डॉक्युमेंट्री कंपलायंस में भारत में 67 घंटे लगते है, जबकि ओईसीडी देशों में सिर्फ 4 घंटे लगते है इंपोर्ट के लिए बार्डर और डॉक्युमेंट्री कंप्लायंस की कॉस्ट भारत में 695 डॉलर है, जबकि ओईसीडी देशों में 148 डॉलर है। एक्सपोर्ट में भी ऐसी ही दिक्कत आती है नए सिस्टम से टे्रडर्स की कॉस्ट और समय दोनों में बचत होगी।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स के नए इंटरफेस से इंपोर्टर्स और एक्सपोर्टर्स आईसीई गेट पोर्टल पर इंटीग्रेटेड डिक्लेयरेशन दे पायेंगे।
यह जानकारी इस एजेंसी के स्टेटमेंट में दी गई है। इसमें कहा गया है इंपोर्ट और एक्सपोर्ट में लगने वाला समय कम करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम महत्वपूर्ण पहल है। इससे टे्रड संबंधी कॉस्ट कम होगी। इसमें समय भी बचेगा। इससे इंपोर्टर्स काफी बचत कर पायेंगे। कैबिनेट सेक्रेटरी के नेतृत्व में बनी सेक्रेटरीज की कमेटी ने टाईम लाईन पर अमल की खातिर रेगुलेटरी एजेंसियों के लिए बेंचमार्क और गोल तय किया है। एजेंसियों और इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स मिलकर काम कर सकें इसके लिए पोर्ट और सेंट्रल लेवल कस्टम क्लीयरेंस फैसिलिटेशन कमेटी बनाई गई है। यह इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट में अलग-अलग एजेंसियो की रिक्वायरमेंट पूरी करने के लिए प्रोसेस को सिंपल बनाएगी। इसमें डॉक्युमेंट्स की जरूरत भी घटाने पर ध्यान है। सीबीईसी के चैयरमेन नजीब शाह ने बताया, यह बड़ा टास्क है।
उन्होंने बताया इंपोर्ट और एक्सपोर्ट में लगने वाला समय और कॉस्ट सरकार के लिए भी चिंता का सबब बनी हुई थी।
सौजन्य से : इकनोमिक टाइम्स

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