4 कंटेनर विदेशी शराब तथा सिगरेट के पकड़े, डिक्लेयर किये थे चाइनिज ब्राण्ड टायर, करोड़ों की कस्टम ड्यूटी चोरी
असली किंग-पिंन की तलाश, शक की सुई तीन चड्डाओं पर
नई दिल्ली : दिल्ली तुगलकाबाद कंटेनर डिपो स्मगलरों का गढ़। यह हो नहीं सकता कि यहां गलत काम न हो रहा हो। कोई कमिश्नर गारंटी नहीं ले सकता कि उसके चलते यहां स्मगलिंग बंद हो गई है डीआरआई तथा प्रिवेंटीव की नजरें 24 घंटे इस पोर्ट पर लगी रहती है। फिर भी कोई न कोई स्मगलर यहां पर काम कर रहा होता है। इम्पोर्ट हो या एक्सपोर्ट कई बार मैं सोचता हूं कि अगर सरकार ने एक ही निगरानी या जांच एजेंसी तथा छापा मार दस्ता बनाया होता तो क्या होता। आज कई निगरानी एजेंसियां होने के बावजूद भी पोर्ट पर स्मगलर चुप करके अपना काम कर जाते है और यह एजेंसियां देखती रह जाती है। डीआरआई तो वैसे भी छोटे टैक्स चोरों को पकड़ती ही नहीं है। चाहे इनके पास इंफॉरमेशन पूरी हो। डीआरआई को यह समझना भी जरुरी है कि यही छोटे चोर ही पैसा कमा कर बड़े चोर बनते है। बड़ी गेमे तभी खेली जाती है जब छोटी गेमे कामयाब होती है। छोटे चोरों को सभी एजेंसियां यह सोच कर छोड़ती होगी कि अभी जरा बड़ा चोर बन जाये तब पकड़ेगें। तब तक वह सिस्टम को खरीदने की ताकत में आ जाता है और माफिया बन जाता है। आज तक तो हम यही देखते आये है कि छोटे चोर ही जब नहीं पकड़े गये तो बड़े चोर बन गये और बाद में सिस्टम को अपने हाथों में ले कर माफिया बन गये।
इसी कड़ी में कस्टम प्रिवेंटीव ने आईसीडी तुगलकाबाद में एक शानदार धमाका किया और आईसीडी तुगलकाबाद में 4 कंटेनर पकड़े। डिक्लेयर किया गया था चाइनिज टायर और टायरों में निकले ब्रांडेड डानलप तथा परेली के टायर तथा करोड़ों रुपये की विदेशी शराब ब्लैक लेबल और शिवास रिगल। सिगरेट भी भारी मात्राा में निकाली जा रही थी। सिगरेट थी डनहील, गुडन ग्राम तथा मोंड। मैसर्स शिवानी इंडस्ट्रीस की कम्पनी में यह माल मंगवाया जा रहा था। इम्पोर्टर का नाम जो सामने आया है मलकियत सिंह बताया जाता है। क्लीरिंग एजेंट रमाकांत साहु बताया जाता है।
सूत्रों के अनुसार एक कंटेनर पहले निकाला जा चुका है 4 कंटेनर खोले गये जिसमें भारी मात्राा में यह सामान पाया गया। जांच के दौरान अभी तक जो मलकियत सिंह नाम का जो इम्पोर्टर सामने आया है वह असली मालिक इस माल का नहीं लगता। क्योंकि वह एक वेल्डर है उसकी माली हालत भी खस्ता है 40 गज के मकान में रहने वाला इतना बड़ा खेल नहीं कर सकता।
अफसरी सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कोई बहुत बड़ा माफिया है। पूरे माल की कीमत लगाई जाये तो 10 से 12 करोड़ रुपये बनती है तथा ड्यूटी मिला कर 10 करोड़ का खेल कोई छोटा मोटा आदमी नहीं कर सकता। सूत्रों की मानें तो इस खेल में कोई चड्डा नाम का स्मगलर बताया जा रहा है। तीन चड्डाओं पर जांच एजेंसियों को शक है। अभी देखो कि असली किंग-पिंन कौन निकलेगा। सूत्रा यह भी बताते है कि इतना बड़ा खेल जो भी खेल रहा है उसने सभी दरवाजे बना रखे है माल पकड़े जाने की स्थिति में क्या करना है। जो भी हो मगर सरकार के खजाने में करोड़ों रुपये जमा जरुर होगें। प्रिवेंटीव अगर इसी तरह जाग कर काम करता रहा तो स्मगलरों के हौसले टूटते रहेगें। दिल्ली कस्टम प्रिवेंटीव की टीम अडिशनल कमिश्नर जुबेर कामली तथा डिप्टी कमिश्नर आशिमा बत्रा तथा सुप्रिडेंट वाई कुमार, राजेश कुमार की संयुक्त कोशिश में कस्टम प्रिवेंटीव को भारी कामयाबी मिली।