जीएसटी से कैसे बदलेगा टैक्स सिस्टम

नई दिल्ली :  गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी लोकसभा में आने की तैयारी हो रही है. केंद्र सरकार ने एक टैक्स वाले जीएसटी संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश कर दिया है। अभी इस पर घमासान जारी है। लेकिन माना जा रहा है कि नया कानून बन गया तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। अप्रैल 2016 से इसे लागू करने की तैयारी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया तो तृणमूल, वाम मोर्चा और एनसीपी ने वॉकआउट कर दिया। अन्नाद्रमुक और बीजद ने वॉकआउट तो नहीं किया, लेकिन बिल पर अपना विरोध जताया। इन पांच दलों के मुताबिक, जीएसटी से राज्यों के टैक्स रेवेन्यू को नुकसान होगा। इस बिल को स्थायी समिति को भेजने की मांग की जा रही है।
टैक्स ढांचा बदल देगा जीएसटी
जीएसटी के लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स….सब खत्म हो जाएंगे। सरकार जीएसटी को 1947 के बाद का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बता रही है। जीएसटी लागू होते ही सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज़, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्टरॉई, वैट जैसे अलग-अलग सेंट्रल और लोकल टैक्स खत्म हो जाएंगे। इससे पूरे देश में एक प्रोडक्ट लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा। हालांकि पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो अभी कुछ साल तक जारी रहेंगे।
क्या है जीएसटी?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) अप्रत्यक्ष कर है। सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी को हटाकर जीएसटी बनाया जाएगा। जीएसटी लागू होने के बाद सारे टैक्स हटेंगे। ये टैक्स सिस्टम सुधार का सबसे बड़ा कदम है। जीएसटी के तहत पूरे देश में एक ही रेट पर टैक्स लगेगा। वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अधिकतर करों को जीएसटी के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है। मौजूदा कर व्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग कर लगाए जाते हैं, जिनकी दरें भी अलग-अलग होती हैं। जहां तक भारत की बात है तो वर्ष 2006-07 के आम बजट में पहली बार इसका जिक्र किया गया था।
अर्थव्यवस्था सुधरेगी…
माना जा रहा है कि जीएसटी के लागू होने के बाद टैक्स चोरी रुक जायेगी, इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ेगा। जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी 2% तक बढ़ सकती है। इससे टैक्स चोरी कम होगी और टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। जीएसटी आने के बाद टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा और असमानता नहीं होगी। काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे।
टैक्स में राहत: जीएसटी लागू होने से ढेरों टैक्स कानून और रेगुलेटरों का झंझट नहीं होगा। साथ ही, सब कुछ ऑनलाइन होगा। सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी को हटाकर जीएसटी बनाया जाएगा। जीएसटी लागू होने के बाद सारे टैक्स हटेंगे। ये टैक्स सिस्टम सुधार का सबसे बड़ा कदम है। इस सिस्टम के लागू होने के बाद चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलीकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे। इस व्यवस्था में गुड्स और सर्विसेज की खरीद पर अदा किए गए जीएसटी को उनकी सप्लाई के वक्त दिए जाने वाले जीएसटी के मुकाबले एडजस्ट कर दिया जाता है। जीएसटी के बारे में सबसे पहले मौजूदा राष्ट्रपति और तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2006-2007 के बजट में प्रस्ताव दिया था।
राज्य को क्यों है एतराज?
जीएसटी को लेकर राज्य सरकारों में चिंता भी है। बड़ा सवाल है कि टैक्स स्लैब क्या होगा और नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई कौन करेगा। टैक्स बंटवारे को लेकर भी सवाल है। टैक्स बढ़ाने या घटाने का फैसला कौन करेगा, इस पर भी चिंता है। राज्यों को मिली मनमर्जी से टैक्स वसूलने की छूट खत्म हो जाएगी। राज्यों की मांग है कि सरकार इस मुद्दे का कोई हल निकाले, या भारी-भरकम मुआवजा दे। मुआवजा न मिलने की स्थिति में मांग है कि पेट्रोलियम और एंट्री टैक्स को इसके दायरे से बाहर रखा जाए।
यह हैं मुश्किलें
वहीं, केंद्र सरकार को रिटेल कीमतों पर टैक्स की वसूली करने और राज्यों को सर्विस टैक्स की वसूली का अधिकार देने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। जीएसटी के बिल को संसद में पारित कराने के बाद इसे राज्यों की विधानसभाओं में भी पारित कराना होगा। यूपीए सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी जीएसटी को लेकर कई बार कोशिशें कीं लेकिन राज्यों के बीच सहमति न बन पाने के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका।
आम आदमी को फायदा
जीएसटी लागू होने पर सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को है। क्योंकि इसके बाद आम जनता को चीजें पूरे देश में एक ही रेट पर मिलेंगी, चाहे किसी भी राज्य से खरीदें। मसलन गाड़ी आप दिल्ली से लें, नोएडा से या फिर पंजाब से। अब इस पर लगने वाले अलग -अलग टैक्स का झंझट खत्म हो जायेगा।
कारोबारियों-कंपनियों को फायदा
जीएसटी लागू होने पर कंपनियों का झंझट और खर्च भी कम होगा। व्यापारियों को सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अलग-अलग टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा तो सामान बनाने की लागत घटेगी, इससे सामान सस्ता होने की उम्मीद भी है।
कितनी होगी कुल दर? इस पर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है। राज्य 27% से ज्यादा जीएसटी चाहते हैं।
कैसे काम करेगा जीएसटी?
गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स अप्रैल 2016 से लागू करने की तैयारी है। अभी राज्यों में अलग-अलग लोकल टैक्स लगाया जाता है। जीएसटी लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा। हर प्रोडक्ट पर लगने वाले टैक्स में बराबर हिस्सा केंद्र और राज्यों को मिलेगा। जीएसटी 16% तय होता है तो केंद्र और राज्य को टैक्स रेवेन्यू का 8-8 फीसद हिस्सा मिलेगा।
कैसे लागू होना है जीएसटी?
जीएसटी बनाने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत है, ताकि केंद्र और राज्य मिलकर समान टैक्स की दर तय कर सकें। संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित करने के लिए संसद के दो-तिहाई सदस्यों की मंजूरी जरूरी है। इसके बाद कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं को इस बिल को मंजूरी देनी होगी। तब जाकर जीएसटी लागू हो सकेगा।
भारत में किस तरह काम करेगा जीएसटी?
भारत में सरकार के संघीय ढांचे को देखते हुए जीएसटी का स्वरूप दोहरा होने की संभावना है, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य के जीएसटी शामिल होंगे।
स्रोत : दैनिक ट्रिब्यून
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