जीएसटी में गड़बड़ी से बचना है तो रिटर्न का मिलान जरूर करें, जीएसटी विशेषज्ञ ने दी राय

पिछले कुछ महीनों में राज्य में तमाम व्यवसायियों को सरकार से जीएसटी मिलान न होने पर नोटिस जारी हो सकती है। रिटर्न में गड़बड़ी या कम भुगतान के कारण ही ये स्थिति निर्मित हो सकती है, अगर कारोबारी या आपूर्तिकर्ता जीएसटी रिटर्न के दौरान कुछ सावधानियां बरतें तो काफी हद तक समस्याआें से बचा जा सकता है। यह जीएसटी विशेषज्ञ संजय सिंदवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि करदाता कारोबारियों को जुलाई से मार्च 2018 के बीच दाखिल जीएसटी रिटर्न को भरते समय कुछ सावधानियां बरतनी होंगी। इससे वह नोटिस से बच सकता है। उन्होंने बताया कि रिटर्न में कोई असमानता नहीं होनी चाहिए। सुनिश्चित करना होगा कि अपलोड की गई खरीदारी की जानकारी और आपूर्तिकर्ता द्वारा अपलोड डाटा के बीच कोई गड़बड़ी तो नहीं है। इस तरह इनपुट टैक्स क्रेडिट में गड़बड़ी नहीं होगी। वहीं जीएसटीआर-3बी के तहत समरी रिटर्न्स, जीएसटीआर-1 के फॅार्म में फाइनल रिटर्न के दौरान भरे डाटा में भी सावधानी बरतें। अकाउंट्स बुक व ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड को भी व्यवस्थित रखें। उन्होंने कहा कि रिटर्न भरने में देरी भी परेशानी का सबब बन सकती है। एेन वक्त पर रिटर्न में गड़बड़ी की संभावना बनी रहती है। जल्दबाजी में भरा गया रिटर्न, अकसर गलत होता है।

जीएसटी विशेषज्ञ ने गड़बड़ी की दो अहम वजहों पर भी प्रकाश डाला। पहली यह कि जीएसटीआर-3बी फॅार्म में रिटर्न का सारांश भरने और जीएसटीआर-1 में सभी बाहरी आपूर्तियों की इनवॉइस में अंतर नहीं होना चाहिए। इनवॉइस के अनुसार विस्तृत विवरण भरने के दौरान, स्वघोषित जीएसटी और उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट वैल्यू के बीच में अंतर नहीं होना चाहिए। दूसरी यह कि जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-2ए यानी किसी की आपूर्तिकर्ता से की गई खरीदारी के विवरण में भरे आंकडों में अंतर नहीं होना चाहिए, अगर टैक्स के खिलाफ गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट आवंटन वास्तव में सप्लायर द्वारा चुकाया जाता है तो राजस्व का नुकसान होता है।

सौजन्य से: दैनिक भास्कर

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