जीएसटी चोरी रोकने के लिए सख्ती की ओर कदम

अगले महीने से ई-कॉमर्स कंपनियों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 2 प्रतिशत तक स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) करना होगा। सरकार ने कंपनियों के लिए ऑडिट और समाधान फॉर्म पेश किया है। इन दोनों का मकसद जीएसटी के दौर में कर चोरी पर लगाम लगाना है। जीएसटी परिषद ने इस प्रस्ताव को जीएसटी कानून के तहत इस साल सितंबर तक के लिए टाल दिया था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अधिसूचित किया है कि अक्टूबर महीने में केंद्रीय जीएसटी का 1 प्रतिशत टीडीएस लिया जाएगा, वहींं इस तरह की अधिसूचना राज्योंं की ओर से भी जल्द आने की संभावना है। इसका मतलब है कि सीजीएसटी और एसजीएसटी का एक प्रतिशत और एकीकृत जीएसटी का 2 प्रतिशत होगा।
अभी सरकार को यह तय करना है कि वास्तविक दर क्या होगी, लेकिन कानून के मुताबिक यह सीजीएसटी और एसजीएसटी के एक-एक प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है।  इसी तरह से सावर्जनिक क्षेत्र की कंपनियां की गई आपूर्ति पर सीजीएसटी और एसजीएसटी का एक-एक प्रतिशत तक टीडीएस लेंगी। ईवाई के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, ‘ई कॉमर्स कंपनियों व विभिन्न सरकारी कंपनियों को अपनी की गई आपूर्ति पर टीडीएस के मामले में तेजी से अपनी व्यवस्था विकसित करनी होगी, जिससे एक अक्टूबर से इन प्रावधानों का अनुपालन किया जा सके।’
ई-कॉमर्स कंपनियां जहां इस कर का विरोध कर रही हैं, वहीं सरकार का मानना है कि यह राजस्व जुटाने का मसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे मकसद यह देखना है कि कंपनियां अपने कौन से उत्पाद ई मार्केट प्लेस पर बेच रही हैं। सीबीआईसी ने कंपनियों के लिए ऑडिट और समाधान फॉर्म भी पेश किया है, जिनका कारोबार 2 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा है। इन कंपनियों को इस साल दिसंबर तक ऑडिटर के प्रमाणपत्र सहित फॉर्म भरना होगा। टैक्समैन में अप्रत्यक्ष कर के विशेषज्ञ शुभम मित्तल ने कहा कि जीएसटी पोर्टल पर अब तक इन फार्मों जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9सी की व्यवस्था नहींं की गई है। जीएसटीआर 9सी ऑडिट रिपोर्ट और समाधान स्टेटमेंट दाखिल करने के लिए है। इस फॉर्म को 2 भागों में बांटा गया है। एक करों व टर्नओवर के समाधान के लिए है और दूसरा भाग ऑडिटर के प्रमाणपत्र के लिए है।
पहले के अप्रत्यक्ष कर के दौर में वीएटी का इस्तेमाल राज्य स्तर के ऑडिट रिपोर्ट में होता था, लेकिन उसमें इतना विस्तार से ब्योरा नहीं था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में ऑडिट रिपोर्ट नहीं होती।  अगर पंजीकृत व्यक्ति के लिए ऑडिट अनिवार्य नहीं है तो उसे जीएसटीआर 9 में सालाना रिटर्न भरना होगा और आपूर्तिकर्ता जीएसटीआर 9ए में रिटर्न भरेगा। ऐसा ऑडिट कंपोजिट सप्लायर के लिए अनिवार्य नहीं होगा।
सौजन्य से: बिसनेस स्टैंडर्ड
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