सरकार ने जीएसटी रिटर्न के फॉर्म GSTR-2 और 3 खत्म कर अगले वित्त वर्ष तक कारोबारियों को सिर्फ GSTR-1 और 3B भरने की छूट तो दे दी है, लेकिन कई कानूनी प्रावधान अब इनपुट टैक्स क्रेडिट की राह में रोड़ा बनते दिख रहे हैं। कानूनन 2017-18 के किसी भी इनवॉइस के लिए क्रेडिट सितंबर रिटर्न की डेडलाइन या सालाना रिटर्न तक लिया जा सकता है। अभी तक सालाना रिटर्न का फॉर्म ही नहीं आया है और मौजूदा GSTR-3B में इनवॉइस डिटेल्स भरने का प्रावधान नहीं होने से कारोबारियों को कई जटिलताएं पेश आ सकती हैं। ट्रेड-इंडस्ट्री में मांग की जा रही है कि सरकार सालाना रिटर्न पर अपना रुख साफ करे या कानून में संशोधन करे।
सीए रंजन कुमार ने बताया कि GSTR-3B में इनवॉइस नंबर या तारीख डालने का कोई प्रावधान नहीं है। इससे यह भी पता नहीं चलता कि जिस इनवॉइस का क्रेडिट क्लेम किया गया है, वह मौजूदा वित्त वर्ष का है या पिछले साल का। उन्होंने कहा कि 21 महीने तक आधे अधूरे रिटर्न के चलते भविष्य में कई दिक्कतें आ सकती हैं और मौजूदा समस्या उनमें से एक है। अगर GSTR-2B प्रभावी होता तो सिस्टम आसानी से 2017-18 के इनवॉइसेज की पहचान कर उन्हें ब्लॉक कर सकता था। अब क्रेडिट प्रोसेस करने में मानवीय दखल की जरूरत होगी, जिससे पूछताछ या शोषण भी बढ़ सकता है