नई दिल्ली : कारोबारियों को कालेधन जमा करने से रोकने के लिए सरकार ऑडिट का सहारा ले रही है। केंद्र ने उत्पाद शुल्क और सेवा कर की चोरी रोकने को देशभर में 45 ऑडिट कमिश्नरेट बनाए हैं। ये कमिश्नरेट कारोबारियों के बही-खाते का ऑडिट करके कर चोरी का पता लगाते हैं। ऑडिट के जरिये चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक चेन्नई जोन के तीन ऑडिट कमिश्नरेट ने 79 करोड़ की कर चोरी का खुलासा किया है। चेन्नई जोन में उत्पाद, सीमा शुल्क एवं सेवा कर के आयुक्त संजय अग्रवाल ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2013-14 में दिसंबर तक ऑडिट कमिश्नरेट्स ने 168 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी थी। हालांकि पूरे वित्त वर्ष में ऑडिट के जरिये 440 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी थी। यह कर चोरी कारोबारियों के बही खातों की जांच के बाद पकड़ी गई। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने वर्ष 2008 में ऑडिट कमिश्नरेट्स का गठन किया था। देश में इस समय 45 ऑडिट कमिश्नरेट हैं। इनमें से नौ सेवा कर तथा 36 उत्पाद शुल्क के हैं। ये कमिश्नरेट सिर्फ उन्हीं मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी का ऑडिट करते हैं जो तीन करोड़ रुपये से अधिक सालाना उत्पाद शुल्क जमा करती हैं। जो कंपनियां साल में 50 लाख से एक करोड़ रुपये उत्पाद शुल्क जमा करती हैं उनका ऑडिट पांच साल में एक बार किया जाता है।
स्रोत : दैनिक जागरण