कस्टम विभाग के नोटिस को दी थी हाईकोर्ट में चुनौती

ग्वालियर: हाईकोर्ट की युगलपीठ ने सीटी कॉटन यान की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें कस्टम के नोटिस को चुनौती देते हुए 18 लाख की कस्टम ड्यूटी माफ करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि भले ही कंपनी घाटे में है, पर कंपनी को कस्टम ड्यूुटी चुकानी होगी। एक हफ्ते में कंपनी सबसे पहले 50 प्रतिशत राशि कस्टम विभाग के पास जमा करे।B1

सीटी कॉटन यान ने विदेश से अपने कारखाने के कलपुर्जे मंगाए थे, जिस पर 18 लाख रुपए की कस्टम ड्यूटी निकल रही थी, लेकिन कंपनी ने बिना कस्टम ड्यूटी चुकाए गोदाम से कलपुर्जे उठा लिए। इसको लेकर कस्टम विभाग ने सीटी कॉटन को 18 लाख रुपए ड्यूटी चुकाने का नोटिस दिया। इस नोटिस को कंपनी ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि कंपनी घाटे में है। इसलिए कस्टम ड्यूटी चुकाने में असमर्थ है। कस्टम विभाग की सीनियर स्टेडिंग काउंसिल अनुराधा सिंह ने कोर्ट को बताया कि कंपनी भले ही घाटे में चल रही हो, लेकिन कस्टम ड्यूटी चुकानी होगी। कंपनी ने विभाग के साथ एक बॉन्ड भरा था, जिसमें कस्टम ड्यूटी चुकाने का भरोसा दिया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्देशित किया कि कंपनी 50 प्रतिशत राशि सात दिन में विभाग के पास जमा कराए। अब कंपनी को 18 लाख में 9 लाख की पहली किस्त कस्टम विभाग को देनी होगी।

स्रोत : नई दुनिया

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