नई दिल्ली : एग्रीकल्चरल मिनिस्ट्री दाल और एडिबल ऑयल के एक्सपोर्ट से रोक हटा सकती है। सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि चने पर 10 पर्सेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की इजाजत के लिए जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी ली जाएगी।
सरकारी अफसरों ने बताया कि किसानों के हित में ये कदम उठाए जा रहे हैं। एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, ‘किसान को अपनी फसल अच्छी कीमत पर बेचने की आजादी मिलनी चाहिए। इस मकसद के साथ हम दाल और एडिबल ऑयल के एक्सपोर्ट से रोक हटाने का प्रस्ताव कर रहे हैं।’ भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दाल का प्रॉडक्शन करता है। यहां इसकी कुल पैदावार 1.9 करोड टन और एक्सपोर्ट 35-40 लाख टन का होता है। भारत ने दाल के एक्सपोर्ट पर जून 2006 से बैन लगा रखा है। हालांकि काबुली चना, ऑर्गेनिक दाल और लेंटिल्स के एक सीमा तय निर्यात की छूट मिली हुई है।
दलहन इंडस्ट्री लंबे समय से रिफॉर्म की मांग कर रही है। इंडियन पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के चेयरमैन प्रवीण डोंगरे ने बताया, ‘अगर एक्सपोर्ट की इजाजत दी जाती है तो किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी। इससे सेक्टर में इनवेस्टमेंट बढ़ेगा। इन कदमों से इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव हो सकता है।’ भारत में टाटा और अडानी सहित दाल के कई नेशनल ब्रांड्स हैं।
डोंगरे ने यह भी कहा कि चने पर 10 पर्सेंट की ड्यूटी से किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिलेगी। इससे चने की खेती को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘फरवरी से चने की नई फसल बाजार में आने लगेगी। ऐसे में दाम में ज्यादा बढ़ोतरी से बहुत अधिक असर नहीं होगा।’ अभी नई दिल्ली के नया बाजार होलसेल मार्केट में चने की कीमत 37 रुपये किलो है। होलसेल एडिबल ऑयल के एक्सपोर्ट पर भी 2008 से पाबंदी लगी हुई है। हालांकि 5 किलो के पैक में इसे विदेश में बेचा जा सकता है। एडिबल ऑयल की मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1100 डॉलर प्रति टन रखी गई है। इस बारे में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता ने बताया कि देश में 1.9 करोड़ टन एडिबल ऑयल का प्रॉडक्शन होता है, जिसमें से 50,000 टन एक्सपोर्ट किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘एडिबल ऑयल के बल्क एक्सपोर्ट की छूट मिलनी चाहिए। चीन में भारतीय ग्राउंडनट ऑयल और जापान, थाईलैंड में राइस ब्रैन ऑयल की काफी मांग है।’ विदेश में रहने वाले भारतीयों की ओर से ग्राउंडनट, तिल, सरसों, नारियल और राइस ब्रैन ऑयल की काफी मांग है। एडिबल ऑयल के बारे में सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हम सस्ता पाम ऑयल इंपोर्ट करते रहेंगे, लेकिन महंगे ग्राउंडनट और दूसरे ऑयल के एक्सपोर्ट से किसानों को फायदा होगा।’ भारत मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल खरीदता है।
स्रोत : नवभारत टाइम्स