एक्सपोर्टर्स के जीसटी रिफंड के मुद्दे का समाधान करेगा ई-वॉलिट

Image result for एक्सपोर्टर्सनई दिल्ली
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि ई- वॉलिट प्रणाली पेश किए जाने से उन एक्सपोर्टर्स की समस्या दूर होगी जो जीएसटी व्यवस्था के तहत टैक्स वापसी में देरी की शिकायत करते रहे हैं। ई- वॉलिट प्रणाली के तहत एक्सपोर्टर्स के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए एक अनुमानित राशि उनके खाते में भेजी जाएगी और इस राशि का उपयोग कच्चे माल पर टैक्स के भुगतान में किया जा सकता है।

प्रभु ने कहा कि वाणिज्य एवं वित्त मंत्रालयों के सचिव इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ई-वॉलिट प्रणाली एकमात्र जरिया है जिससे इसका समाधान समुचित तरीके से किया जा सकता है। इस बारे में वित्त मंत्रालय को निर्णय करना है। ई- वॉलिट वास्तव में इस मुद्दे का हल करेगा क्योंकि तब आपको (एक्सपोर्टर्स को) भुगतान करने या रिफंड की जरूरत नहीं होगी।’ एक्सपोर्टर्स के मुताबिक टैक्स की वापसी में देरी से उनका वर्किंग कैपिटल फंस रहा है और उनका निर्यात प्रभावित हो रहा है।
एक्सपोर्टर्स का पैसा वापस करने में देरी अब 8 महीने से अधिक हो गई है। दूसरी तरफ राजस्व विभाग ने यह दलील दी है कि एक्सपोर्टर्स ने सीमा शुल्क विभाग और जीएसटी नेटवर्क के पास जो फार्म जमा कराए हैं, उसमें गड़बड़ियां हैं। एक्सपोर्टर्स के अनुसार नए इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत ड्यूटी रिफंड के क्लेम में देरी के कारण करीब 20,000 करोड़ रुपये फंसा हुआ है। जीएसटी से पहले एक्सपोर्टर्स को शुरू में ही शुल्क में छूट प्राप्त थी। लेकिन अब उन्हें पहले टैक्स देना होगा और उसके बाद रिफंड की मांग करनी होगी।
उल्लेखनीय ही कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने रिफंड के मुद्दे पर विचार के लिए वाणिज्य और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इस महीने जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में शुल्क वापसी के लिए 1 अक्तूबर से ई- वॉलिट योजना शुरू करने का फैसला किया गया था। इसी बीच केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने हाल ही में जीएसटी रिफंड पखवाड़ा शुरू किया है, इसका मकसद एक्सपोर्टर्स के लंबित शुल्क वापस के मामले में तेजी लाना है।

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