आनन्द की अनुभूति

Image result for रामानुजचार्यरामानुजचार्य गुरु शठकोप स्वामी के शिष्य थे एक बार स्वामी जी ने रामानुजचार्य को ईश्वर प्राप्ति का रहस्य बताया लेकिन स्वामी जी ने रामानुजचार्य को यह भी निर्देश दिया की इसे किसी को न बताये। परन्तु ईश्वर प्राप्ति ज्ञान मिलने के पश्चात रामानुजचार्य ने इस ज्ञान को लोगो में बाटना शुरू कर दिया और फिर इस पर स्वामी जी बहुत ही क्रोधित हुए और रामानुजचार्य से कहा की तुम मेरे बताये गये आज्ञा का उल्लघंन कर रहे हो और मेरे द्वारा ज्ञान को लोगो में युही बाँट रहे हो। तुम्हे पता होना चाहिए की यह अधर्म है और इसके बदले तुम्हे पाप भी लग सकता है और जानते हुए भी तुम अधर्म कर रहे हो।
यह सब बाते सुनकर रामानुजचार्य अपने गुरु से बोले हे महाराज जैसा की आप जानते है एक वृक्ष में फल फुल छाया लकडिया सबकुछ होने के बाद भी यह लोगो के लिए त्याग कर देता है फिर भी वृक्ष को कभी भी अपने इन कार्यो पर पश्चाताप नही होता है तो फिर भला मै इस ज्ञान को लोगो में बाट भी दू तो लोगो को ईश्वर प्राप्ति का रास्ता मिलेगा जिससे लोगो को आनदं की प्राप्ति होगी तो ऐसे में इस महान कार्य के लिए मुझे नर्क में भी जाना पड़े तो मुझे कोई फर्क नही पड़ता है।
रामानुजचार्य की यह बाते सुनकर स्वामी जी अपना गुस्सा शांत करते हुए बोले की तुम्हारे इस समाज सेवा की लालसा को देखकर आज मुझे विश्वास हो गया की मेरे द्वारा प्राप्त ज्ञान तुम्हे देकर सही किया है अब तुम समाज में जाकर इस ज्ञान का प्रचार प्रसार करो जिसे मुझे भी आनंद की अनुभूति प्राप्त होगी।

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