अरे ओ साम्बा! सुना है कि फाइनेंस सैक्रेटरी ने ईमानदार कमिश्नरों की फौज बनाई है

Image result for adhiyaधर्मवीर आनंद
नई दिल्ली : दिवाली का सीजन आ चुका है मगर अफसरों की ट्रांस्फर-पोस्टिंग अभी तक बकाया है सीएचए तथा इम्पोर्टर परेशान है कि माल कहा मंगाया जाये। किस मिजाज का कमिश्नर आयेगा। क्या ऐसा कमिश्नर तो नहीं मिलेगा पहले ईमानदार अफसर बन कर पोर्ट पर आओ फिर कुछ दिन ईमानदारी का डंडा चलाओ सब को डराओ।
वाह-वाह कमाओ! फाईनेंनस सेकेटरी तक अपनी वाह-वाह करवाओ। फिर पोर्ट पर रहने का लालच बढ़ जाये तो अपनी ट्रांस्फर रूकवाने के लिए नार्थ ब्लॉक के चक्कर लगाओ। यह बात तो आप सभी पाठक समझ गए होंगे की कहां की कहानी है। छोटे अफसरों तथा सीएचओ की भाषा में पोर्ट को बर्बाद कर दिया है। इनकी ईमानदारी ने क्या-क्या बंद करवा दिया है सारा काम अन्य पोर्टो पर शिफ्ट हो चुका है। आज बल्लभगढ़ , दादरी तथा गन्नौर पोर्ट आबाद हो चुके है। सारा काम पडपडगंज कमिश्नरेट के अंडर आ चुका है। तुगलकाबाद पोर्ट को अब प्रयोगशाला टाईप पोर्ट बना दिया गया है। 20-25 दिन लग रहा है मुंबई से दिल्ली गाड़ी आने में। यह सब सीएचए इंपोर्टर बताते है। स्मगलिंग बंद हो गई है क्या?
डिप्टी कमिश्नर एसआइआइबी से सीएचए इंपोर्टर घबराए रहते है इनको सब स्मगलर नजर आते है। इनका व्यवहार ऐसा है जैसे भारत के डीजी डीआरआई यही हो।
एक भी इंपोर्टर सीएचए ऐसा नहीं होगा जो डिप्टी कमिश्नर एसआइआइबी से परेशान नजर नहीं आएगा। क्या ईमानदार कमिश्नर को इनका व्यवहार नजर नहीं आता। बहुत समय ये यह सब बातें सामने आ रही थी कि कमिश्नर की ईमानदारी की सनक से अफसर समेत सभी परेशान है। कोई पोर्ट ऐसा नहीं जहां सही काम की आड़ में 5 से 10 प्रतिशत काम गलत ना होता हो यह नहीं की 100 प्रतिशत लोग गलत काम करते है। लोग पोर्ट से इसलिए नहीं भागे की गलत काम करते थे। लोग भागे अपने इज्जत के कारण अपने स्वाभिमान के कारण के कहीं हमारी इज्जत की फजीहत ना हो जाऐ। आज पोर्ट पर अफसर भी डरे हुए है। गलत काम के वजह से नहीं कमिश्नर की सनक के कारण। कमिश्नर का व्यवहार सबको तंग कर रहा है हसमुख अधिया जी ईमानदार लोगों की फौज जरूर बनाये मगर लोग परेशान नहीं होने चाहिए।
अभी कुछ समय पहले पड़पड़गंज में कई लोगों को सस्पेंड़ किया। दबी जुबान में सभी अफसर कमिश्नर काी इस कार्रवाई को ज्यादा ईमानदारी दिखाने के लिए बता रहे है। ससपेंड़ अफसरों का इतना कसूर भी नहीं था। जबकि आईसीडी तुगलकाबाद में ज्यादा गलत काम हुआ मगर वहा एक क्लर्क तक को नहीं हटाया गया एक कहावत है पंजाबी में की इज्जत वाला अंदर वडे दूसरा जाने मेरे कोलो डरे! यही हाल है आईसीडी तुगलकाबाद का।
लोग कहते है कि ईमानदार कमिश्नरों को अगर पोर्ट पर लगाया जाता है तो इनके नीचे भी ईमानदार अफसरों को लाना चाहिए। ताकि ताल-मेल सही बैठाया जा सके। ऊपर वाले अफसर सख्ती करे और नीचे वाले पैसे मांगे यह बात जमती नहीं।
कुछ नामी अफसरों को बार-बार मलाईदार पोस्टिंग क्यों दी जाती है यह बात सही काम करने वाले क्लीयरिंग ऐजेंटो के गले से नहीं उतरती। आज आप देख सकते है कि हर ‘एयर’ तथा ‘सी’ पोर्ट पर नामी डिप्टी कमिश्नरों का कब्जा है जो हर बार मलाईदार पोस्टिंग पर रहते है। समय-समय पर कमिश्नरों को अपने काम की समीक्षा कुछ निष्पक्ष लोगों से करवाते रहना चाहिए ताकि उन्हें पता लगता रहे कि लोग उनके काम से खुश है या परेशान।

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