अड़ानी को 5500 करोड़ का नोटिस देने वाले कस्टम अफसर लगाये गये ठिकाने

नई दिल्ली : मोदी सरकार के करीबी उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ जाने वाले अफसर एक-एक कर हाशिये पर धकेले जा रहे हैं।
कस्टम के जिस अफसर ने अडानी ग्रुप के 5,500 करोड़ रूपए का आयात घपला पकड़ा था उस अफसर को अहम कुर्सी से हटाकर कस्टम अकेडमी में प्राध्यापक का काम दिया गया है। यही नही एक और अधिकारी जिसने इस आयात घपले की छानबीन की थी उसे एक कथित रिश्वतखोरी के मामले में फिक्स किया गया।
प्रिंसिपल कस्टम कमिश्नर पी. के. दास ने उद्योगपति गौतम अडानी के इम्पोर्ट डूटी चोरी के मामले को उजागर किया था। गौतम अडानी मोदी सरकार के करीबी बताये जाते हैं और उनकी मोदी सरकार में अच्छी पकड़ भी है। वहीं कस्टम कमिश्नर पी. के. दास मुंबई में उस वक्त डाइरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के एक उच्च पद पर मौजूद थे।
पी.के. दास के अलावा उनके एक अधीनस्थ कस्टम अधिकारी जे. पी सिंह ने अडानी के आयात घोटाले का पर्दाफाश किया था। उनको सीबीआई ने एक रिश्वत के मामले में सस्पेंड किया। जे. पी.सिंह के परिवार के अनुसार इस रिश्वत मामले उनको फंसाया गया है। उनका कहना है कि गुजरात के एक बिजनेसमैन द्वारा लगाये गए आरोपों के आधार पर उनको मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाया गया है। जे. पी. सिंह को वित्त मंत्रालय द्वारा सस्पेंड किया गया है।
जैसे ही नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार बनी वैसे ही डीआरआई द्वारा पकड़े गए गौतम अडानी के इम्पोर्ट डूटी चोरी के मामले को सीबीआई के पास भेज दिया गया। इस मामले में सीबीआई के डायरेक्टर अनिल सिन्हा द्वारा देखा जा रहा था, कोई नही जानता कि अनिल सिन्हा ने अडानी के इस मामले में क्या किया? लेकिन इसके कुछ महीने बाद अनिल सिन्हा को सीबीआई का डायरेक्टर बना दिया गया। सूत्रों की माने तो अनिल सिन्हा गौतम अडानी ग्रुप के नजदीकी हैं।
हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी के साथ गौतम अडानी की विदेश यात्राओं के बारे में आरटीआई से जंानकारी मांगने के बाद प्रधानमंत्राी मोदी ने कुछ दूरी बना ली है, लेकिन गुजरात के कई बड़े उद्योगपतियों को दिल्ली में जगह दी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार डीआरआई ने अडानी के खिलाफ कस्टम डूटी चोरी का मामला दर्ज किया था जिसमे उन पर आरोप था कि उन्होंने कस्टम डूटी की ओवर वैल्यूएशन के जरिये की चोरी की है। इस मामले के जोर पकड़ने के बाद इसे सीबीआई को सौपं दिया गया था। जिसके बाद इस मामले की सीबीआई ने शुरूआती जाँच शुरू की। जबकि सीबीआई अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों की 2010 से ही जाँच कर रही थी।
इन कंपनियों पर आरोप था कि इन्होने अवैध तरीके से ओवर वैल्यूएशन किया और पॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत 3,580 करोड़ के सामान का आयात किया जिसकी की असल कीमत 9,048 करोड़ रूपये बताई। जिसके बाद डीआरआई ने अडानी को 5,500 करोड़ की टैक्स चोरी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

You are Visitor Number:- web site traffic statistics