हिन्दुस्तान में हर इन्सान को एक मूर्ख की जरुरत है

Image may contain: 1 person, beard, outdoor and closeupभारत में कई तरह की भाषाएं हैं और विभिन्न प्रकार की जातियां हैं। हर पचास किलोमीटर के बाद भाषा बदल जाती है। पंजाब में ही कई तरीके की पंजाबी बोली जाती है। पूरे देश में एक बात समान है कि हर हिन्दुस्तानी को एक मूर्ख की तलाश है। हर आदमी दूसरे में यह बात ढूंढ़ता है कि उसे मूर्ख बनाकर कैसे लूटा जाए। नेताओं से लेकर रिक्शा चलाने तक वाले तक की यही सोच है। नेता तो पब्लिक को सालों से मूर्ख बनाते आ रहे हैं। यह मूर्ख बनाने की नींव 1947 में पड़ गई थी। तब से लेकर आज तक मूर्ख बनाकर पूरा देश के लोग एक दूसरे को लूटने और लुटाने में लगे है। धर्म के नाम पर भारी लूट, पढ़ाई के नाम पर लूट, पासपोर्ट से लेकर आधार कार्ड तक लूट।
लोन लेना हो तो बैंकों के अफसरों को मूर्ख बनाकर । अफसर समझ रहा है कि मैंने लूटा व्यापारी समझ रहा मैंने लूटा। सब्जी वाला समझ रहा है कि महंगी और गंदी सब्जी बेचकर मैंने लूटा और खरीदने वाला समझ रहा है कि मोल-भाव करके मैंने उसको मूर्ख बनाया। फल बेचने वाला मौके की तलाश में रहता है कि कब ग्राहक का मुंह उधर हो और दो दागी फल थैली में ड़ाल दूं।
कारों पर प्रेस के नकली स्टीकर लगाकर पुलिस को मूर्ख बनाना तथा खाने-पीने की हर चीज पर बड़ी-बड़ी कंपनियों मूर्ख बना रही है। हर घर में बच्चे मां-बाप को मूर्ख बना रहे है। ज्योतिष विद्या जानते नहीं बस बोलना सीख लिया है। फेस रिड़िंग कर भविष्य बता रहे है अपना भविष्य पता नहीं। नकली नोट छप रहे है और ना जाने क्या-क्या हो रहा है। सबको एक अदद मूर्ख की तलाश है।
एक शर्ट के साथ दो मुफ्त कमाल है। मूर्खता की आदत सी पड़ गई है हर इंसान को बनने ओर बनाने की। इसी से पूरे देश के लोगों का काम चल रहा है चाहे नेता हो, अभिनेता हो, बिजनेसमेन हो या बिल्डर और तो और सब्जीयां तथा फल बेचने वाले भी रंग चढ़ाकर फल और सब्जियां बेच रहे है। इससे हमारा देश पिछड़ेगा नहीं तो और क्या होगा। विदेशी लोगों को पता चल चुका है कि हिंदुस्तान के लोग मूर्ख है। धर्म तथा जाति के नाम पर लड़वाते रहो और हथियार बेचते रहो।
चाईना को भी पता चल चूका है कि सबसे घटिया क्वालिटी वाला माल हिंदुस्तान वाले लेते है। खाने-पीने का एक्सपायरी माल हिंदुस्तान में बेच लो सड़ा-गला कीड़े वाला पिस्ता लाओ और साफ करके बर्फी पर लगाओ कौन देख रहा है। लोग देश के अंदर 40 प्रतिशत दवाईयां नकली खा रहे है। शुक्र है नकली खा रहे है इसलिए ठीक है जब नकली डॉक्टर नकली दवाईया देकर पैसा कमा रहे है इससे मरता तो कोई है नहीं और ना ही कोई ठीक होता है।
जब दवाई है ही नहीं तो असर क्या होगा। कौन सुधारेगा देश को प्रकृति आपदा आना ही इस देश का हल है। तभी तो भगवान गुस्से में आकर यह सब करता है। मगर फिर भी इंसान बाज नहीं आ रहा जहां निर्दोष इंसान और पशु मरेंगे। वहां कुदरत अपना कहर तो बरपायेगी ही।
इंसान कही भी चला जाये गंदगी तो फैलाएगा ही जो कुदरत को पसंद नहीं। आज हमे जरूरत है ऐसे इंसान ही जो इंसानों के दिमाग बदल सके की लोभ लालच में आकर मूर्ख बनना और बनाना छोड़ो नहीं तो सब यही भुगतना पड़ेगा।