एक बार बालक नचिकेता ने अपने पिता से कहा, आप ब्राह्मणों को जर्जर, शगात और अनुपयोगी गाय दान में दे रहे हैं। उन्होंने यह नहीं कहा कि ऐसा ठीक नहीं है परंतु पिता समझ गए कि यह मेरी निंदा कर रहा है, मेरा अनादर कर रहा है, मेरे कृत्य की भर्तसना कर रहा है। नचिकेता ने पिता से कहा- शास्त्र कहते हैं कि अच्छी वस्तु, अच्छी निधि तथा अच्छी संपदा का दान करना चाहिए। अगर आप दान ही कर रहे हैं तो मुझको किसे दान में दें...