
इस बंदरगाह को सागरमाला परियोजना से जोड़ा जाना है. इसके बाद यह पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा देश के करीब 10 राज्यों से सीधे संपर्क में आ जायेगा. साहिबगंज एक बड़ा व्यावसायिक हब के रूप में उभर कर सामने आयेगा. यहां बड़े-बड़े जहाजों का आगमन होने लगेगा. हर साल करीब 2.24 मिलियन टन कार्गो का संचालन किया जायेगा. इसे हल्दिया-वाराणसी जल मार्ग से जोड़ा गया है.
इसके अलावा इसे एनएच 80 फोरलेन से भी जोड़ा गया है. बंदरगाह सकरीगली रेलवे स्टेशन के करीब है. भविष्य में इसे वायु मार्ग से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है. साहिबगंज के रोल ऑन रोल ऑफ टर्मिनल बिहार के मनिहारी से भी जोड़ा गया है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह बंदरगाह
देश में 106 जलमार्ग हैं. इनमें 154 जलमार्ग महतवपूर्ण हैं. राष्ट्रीय जल मार्ग-एक वाराणसी से हल्दिया तक काफी महत्वपूर्ण है. साहिबगंज का बंदरगाह गंगा नदी पर वाराणसी से हल्दियाा तक प्रस्तावित 1390 किमी लंबे राष्ट्रीय जल मार्ग-एक के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है. राष्ट्रीय जल मार्ग-एक को जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट ने तकनीकी रूप से तैयार किया है. इस परियोजना के तहत 150-2000 डीडब्लूटी की क्षमता वाले जहाजों को व्यावसायिक रूप से इस जलमार्ग पर चलाया जा सकेगा. राष्ट्रीय जल मार्ग-एक देश के कई राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल के गंगा किनारे बसे हल्दिया, हावड़ा, कोलकाता, भागलपुर, पटना, गाजीपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और आसपास के औद्योगिक इलाकों को जोड़ेगा.
बनारस से कई गुना बड़ा व आधुनिक
बंदरगाह में कन्वेयर की सुविधा है, जो सालाना तीन मिलियन टन का है. इसके जरिये कोयला, चिप्स सहित अन्य सामान आसानी से लोड किया जा सकेगा
बंदरगाह के प्लेटफॉर्म पर एक बड़ा क्रेन है. इससे कार्गो शिप में आये कंटेनर को आसानी से लोड व अनलोड किया जा सकेगा
यहां तेल डिपो से लेकर जहाज मरम्मत का भी शेड बनाया जायेगा
source by : prabhatkhabar