मोदी जी तुसी बड़े दयालू हो तुवाडा भेद किसे न पाया है।

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मोदी जी तुसी बड़े दयालू हो तुवाडा भेद किसे न पाया है।

आज कल देश के लोगों के दिलों का ग्राफ रोज बदलता रहता है ईसीजी की तरह। मोदी जी रात को सोचते हे की सख्त कदम उठाना है देश को बचाना है। घोषणा होती है सख्त कदम की रातों रात मोदी जी के खिलाफ हवा बन जाती है। लोग कहते है कि बस अब पतन शुरू हो गया अब कांग्रेस आ जाएगी। जो लोग मोदी जी के साथ होते है वो उनके विचारों का समर्थन करते है उनको दूसरी पार्टी के लोग उलाहना देते नजर आते है तुम्हारे मोदी जी देखो क्या कर रहे है देश का भठा बैठा देंगे। अपना परिवार है नहीं दाल-रोटी कमा कर लाना नहीं पड़ता देश चलाएगा कांग्रेस ठीक थी। राहुल गांधी को माकन जी खबर देते है देश में लोग मोदी के खिलाफ होते जा रहे है कुछ अच्छा बोलो। मोदी जी को इंटेलिजेंस से पता चलता है की लोग अच्छा फील नहीं कर रहे है। बस वह टी.वी पर आ जाते है। भाईयों और बहनों पहले क्या था अब क्या हो रहा है बताओ कौन ठीक है। रातों-रात लोग फिर बदल जाते है यार मोदी जी ठीक है अब विचार चेंज नहीं करेंगे। वह बेचारा किसके लिए इकट्ठा कर रहा है देश के लिए ही तो सोच रहा है रात-दिन। अगर मोदी न होते तो यह पाकिस्तान मच्छर देश से कांग्रेस कितना डरा रही थी। कश्मीर में कितने आतंकवादी मार दिए वहां के लोग कांग्रेस से महीना वसूली करते थे करोड़ों में। सब बंद हो गया है कितने फायदे किये है मोदी ने नहीं अब मोदी जी को ही र्स्पोट करना है। अगले दिन जेटली जी आए बहुत रिलेक्स दे गए कई घोषणायें कर गए लोगों लोगों ने फिर चैन से सांस ली इस तरह से चल रहा है मोदी जी का ग्राफ। सच तो यह है मोदी जी कर तो ठीक ही रहे है। मगर ऐसा लगता है जैसे पूरे देश का अस्पताल में ईलाज चल रहा है किसी को कोई सा डोज दो कभी कोई सी दवाई दो मोदी जी ने करना ठीक जरूर है। मोदी जी के साथ बड़े-बड़े डॉक्टर सलाहकार भी है इसलिए लोगों को तसल्ली है की चलो आरएमपी डॉक्टर के सलाहकार तो एमडी तथा डीएम जैसे डॉक्टर है ईलाज ठीक कर लेंगे नहीं तो बाहर से भी सलाह ले लेंगे। ऐसे चल रहा हैे देश हमारा अस्पताल से कब बाहर आयेंगे यह तो समय बताऐगा । मगर यह तो पक्का है कि कैंसर नामक बीमारी, भ्रष्टाचार का ईलाज जमकर चल रहा है तथा पूरे देश को टैक्स देने की अच्छी आदत डालने का भी ईलाज चल रहा है। अब देश के लोगों को भ्रष्टाचर नामक बीमारी इतनी हो चुकी है कि हट नहीं रही। ऊपर की कमाई की आदत इतनी पड़ चुकी है कि हर आदमी अपनी असली कमाई में से कोई फालतू खर्च नहीं करना चाहता। कही से ऊपर से पैसे आ जाए तो सोना और जमीन खरीदा जाए।