नई दिल्ली : कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज जिसका नाम बदलकर आज सेंट्रल बोर्ड आॅफ इन्डायरेक्ट टैक्सेस कर दिया गया है। बहुत सालों के इंतजार के बाद आज लिखना पड़ रहा है कि नाम बड़े दर्शन छोटे होते जा रहे है। इस डिपार्टमेंट को देखकर लगता है कि एक लावारिस डिपार्टमेंट चल रहा है। सरकार गधों की तरह काम ले रही है।
जैसे ठेके पर मजदूर लाए जाते है काम करने के लिए। मोदी सरकार के आने के बाद उम्मीद थी की हालात सुधरेंगे इन रेवेन्यू डिपार्टमेंटों के मगर आज जिस हालात में यह काम कर रहे है। सरकार कैसे उम्मीद कर सकती है कि जीएसटी और कस्टम की वसूली से सरकार के खजाने भर दिये जायेंगे। आज कोई भी सरकारी नौकरी में अफसर लगता है तो उसके ख्वाब में होता है कि एक साफ-सुथरा दफ्तर तथा चाय-पानी के लिए चपरासी मगर इन लोगों की हालत कई जगह तो इतनी बुरी हो चुकि हे कि मिलने वालों को शर्म आ जाती है। ईसीडी तुगलकाबाद में एसआईआईबी इम्पोर्ट के अफसरों को बैठा हुआ देख सकते है। इसी तरह यही पर एसआईआईबी एक्सपोर्ट का हाल देख सकते है।
असिस्टेंट कमिश्नर डिप्टी कमिश्नर के पहले जो एक कमरा होता था अब उस कमरे को दो भाग कर दिये गए है जहां दो अफसर बैठते है। कई जगह तो हालात सुधरे है मगर कई जगह बहुत बुरें है। आइटीओ पर भी यही हाल है। सुप्रिडेंटों का अगर किसी से पूछताछ करनी है किसी केस में तो सबके सामने करनी पड़ेगी यह हालत लगभग सब जगह एक जैसे है असिस्टेंट कमिश्नर डिप्टी कमिश्नर तो कई जगह फाईव स्टार होटल जैसी स्थिती में बैठे है मगर सुप्रिडेंटों तथा इंस्पेक्टरों की बैठने की सुविधा बहुत खराब है।