धर्मवीर आनंद
नई दिल्ली : हमने पिछले अंक में यह खबर लिखी थी की कोरियर कम्पनियों में भारी रोष है की कस्टोडियन कम्पनी ईआईसीआई की वजह से भारी नुकसान हो रहा है। विदेशों से आये माल का बुरा हाल है। माल रनवे पर पड़ा रहता है शेड नही है माल की कोई सम्भाल नही है। सैकड़ों पैकेट खराब हो रहे हैं जिस पर हमने वहां के मैनेजर से बात की उन्होंने फोन पर बताया की आप मुम्बई में हमारे जनरल मैनेजर से बात करो हमें तो जितना कहा जाता है उतना ही करते हैं।
हमने कहा कि हमने सामान की फोटो छापी है आप ने देखी होगी की सामान किस तरह से खराब हो रहा है उनका यही जवाब था की मुम्बई बात करो यह तो बात है कस्टोडियन कंपनी की जिसको नो प्राफिट नो लॉस पर बनाया गया है। कोरियर कंपनीयों की भलाई के लिए मगर कोरियर कंपनी वाले कहते है की सिर्फ बड़ी कंपनीयों का ख्याल रखा जाता है।
दूसरी बात आती है कस्टम की कुछ महीने पहले तक कोरियर 24 घंटे में क्लीयर होता था। अब 12 घंटे का कर दिया गया है। यह कह कर कोरियर की आड़ में स्मगलिंग होती है। दिन में भी मौखिक आदेश देकर 1500 पैकेट से ज्यादा क्लीयर नहीं किये जाते है। कई बार काम रोक दिया जाता है। एसआईआईबी कई बार माल चेक करने के लिए रोक लेती है।
कस्टम का यही कहना है कि यह सब स्मगलिंग को रोकने के लिए किया जाता है। मगर छोटी कोरियर कंपनियां कहती है कि अगर स्मगलिंग नजर आती है तो अभी तक माल क्यों नही पकड़ा जा रहा है अगर कुछ गलत है तो केस बनाया जाये समान रोकने से डेमरेज इतना हो जाता है कि कंपनी को घाटा उठाना पड़ रहा है।
कस्टम कहता है कि केरल और तमिलनाडु के कोरियर दिल्ली क्यों आते है। एक-एक आदमी कई लोगों को इतने गिफ्ट क्यों भेजता है। गिफ्ट के नाम पर कम्बल, नैपकीन मिल्क पाउडर आदि ही क्यों होते है और कहीं गिफ्ट क्यों नहीं मंगाए जाते हैं। कोरियर वाले कहते है कि यह कोई कानून नही है कि आप माल कहीं का कहां मंगाओ। क्या दिल्ली के ज्यादातर इम्पोर्टर माल मुम्बई न्हावाशीवा ही क्यों मंगाते हैं। दूसरा तर्क यह है की कस्टम कहता है कि हमे कोरियर से कोई रेवेन्यू नही मिलता है। सिवाए स्टाफ लगाने के इस पर कोरियर कंपनिया यह कहती है की दिल्ली एयरपोर्ट पर हजारों यात्री विदेशों से आते हैं। उनको 50 हजार का मुफ्त सामान लाने की छूट है।
ड्यूटी तो वहां पर भी नहीं मिलती है। एक्स-रे में चेक कराओ और निकल जाओ। कहने का मतलब यह है कि डीआरआई लेवल का कमिशनर जो अब एक्सपोर्ट देख रहे है। वह ऐसा कोरियर में क्या देख रहे है। क्या इतनी बड़ी स्मगलिंग हो रही है तो पकड़ा जाये किसी स्मगलर टाईप कोरीयर वाले के बहकावे में आकर कई सौ लोगों की रोजी-रोटी पर लात न लगे।
अगर कोई सरकारी पॉलिसी का फायदा उठाकर कोई रोटी कमा रहा है तो यह स्मगलिंग तो नहीं हुई। सरकार अपनी पॉलिसी ठीक करे। गल्फ से आए गिफ्टों पर रोक या ड्यूटी लगाऐ। एयरपोर्ट पर सोना स्मगलरों को पकड़ें। एयर कार्गो में सीएचए कम स्मगलरों पर रोक लगाऐ। जो 500 करोड़ से 1000 करोड़ के हो चुके है सारी दिल्ली जानती है। कस्टम और कोरियर वालों तथा कस्टोडियन कम्पनी की बातों को देखा जाए तो पिसते तो छोटे कोरियर वाले ही हैं। स्मगलिंग के नाम पर बड़े तथा नामी कोरियर वाले मजे ले रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि डेमरेज से इकटठा किए गए पैसे से कस्टोडियन कंपनी ने पचास करोड़ की एफ.डी करा रखी है।
अगर डेमरेज के नाम पर कोर्ट में जाए और हिसाब पूछा जाये तो यह जवाब नहीं दे सकते। ऐसा बताया जाता है बहुत सारी खामियां हैं कस्टोडियन कंपनी में जिसका कोई जवाब नहीं है।
जिस काम के लिये इनको कस्टोडियन बनाया गया है वह इस पर खरा नहीं उतर पा रही है। माल की सुरक्षा तथा क्लीयरेंस कि जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई जा रही। पर आरोप लगा रहे है कि छोटी कोरियर कंपनी के लोग। मगर कस्टम भी अपना रोल ठीक से नहीं निभा रहा है इसमें सच्चाई है। अगर विदेशों से कोई भी माल कार्गो या कोरियर से मंगाए तो यह लिमिट नहीं है कि कितना माल मंगा सकते है। फिर कस्टम अपनी ड्यूटी क्यों नहीं निभा रहा है। देश के कई कोरियर टर्मिनलों पर एक हफ्ते पर डेमरेज शुरू होता है और 24 घंटे क्लियर होता है अगर स्टाफ की कमी है तो स्टाफ बढ़ाया जाए।
अगर दिल्ली में अपराध ज्यादा बढ़ जाए तो पुलिस कमिश्नर चौकसी बढ़ाएगा या लोगों को कहेगा की घर से मत निकलो। अगर स्टाफ पर विश्वास नहीं है तो स्टाफ चुनकर लगाया जाये जिन पर विश्वास हो। अपने स्टाफ पर सख्ती की जाए। कुल मिलाकर इस खबर का निष्कर्ष यह निकलता है कि कस्टोडियन कंपनी माल कि देख-रेख और डेमरेज की पूरी तरह जिम्मेदारी नहीं निभा रही है।
कमिश्नर ने स्मगलिंग रोकने के लिए सख्ती की जब कोरियर कंपनियों ने बोर्ड में तथा मिनिस्टर को शिकायत की तो कमिश्नर को गुस्सा आना लाजमी था। और गुस्से में अहम आना स्वभाविक है और सख्ती कर दी गई। जिस से काम में रूकावट आई और जिससे कोरियर कंपनियां परेशान है इसका समाधान तो कमिश्नर को ही करना पड़ेगा। गलत काम करने वालों तथा भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा कसे ना की काम को रोक कर।