डीआरआई ने बांग्लादेश बॉर्डर पार से हो रही सोने की तस्करी का पदार्फाश किया

Image result for बांग्लादेश बॉर्डरपटना। बांग्लादेश बॉर्डर से विदेशी सोने की खेप आती है। फिर उसे बिहार या अन्य राज्यों के विभिन्न शहरों में खपाया जा रहा है। इसमें तस्करों के कई गिरोह शामिल हैं पर उनकी तस्करी का तरीका एक ही है। दूसरों को चकमा देने के लिए तस्कर या कैरियर कमर की बेल्ट के अंदर सोना छिपाते हैं। साथ ही सप्लाई के लिए ट्रेन के जरिए भीड़भाड़ के बीच सामान्य पैसेंजर के वेश में सोने की खेप लेकर सफर करते हैं।
डीआरआई के आॅपरेशन में बीते 9 महीने में पकड़े गए सोना के तीन कंसाइनमेंट के पीछे यही हकीकत सामने आया है। हर बार ट्रेन में पकड़े गए तस्कर की बेल्ट के अंदर से ही सोना मिला। तस्करों का खास फॉमूर्ला है। इसके तहत बेल्ट के अंदर छिपाने के लिए सोने को 100 ग्राम से लेकर एक किलो तक के बिस्कुट के सांचे में ढाला जाता है। फिर लेदर बेल्ट के अंदर एक कपड़े के बेल्ट में सोने की बिस्कुट को इस तरह सेट कर रखा जाता है कि पहली नजर में कोई भी चकमा खा जाए। हाल ही में पटना जंक्शन पर पकड़े गए तस्करों के सरगना ज्ञानचंद वर्मा वाराणसी यूपी की बेल्ट से 1.1 किलो के 5 सोने के बिस्कुट मिले थे।
सोना तस्करों के नेटवर्क को आॅपरेट करने में कोलकाता बेस्ड मास्टर माइंड गगन जी का अहम रोल है। कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके में उसका मेन ठिकाना है। तस्करों के बीच उसे कलकतिया एजेंट के नाम से भी पुकारा जाता है। बांग्लादेश से म्यांमार तक उसके इंटरनेशनल लिंक है। इसी नेटवर्क के जरिए वह विदेशी सोने की खेप मंगाता है। सरगना ज्ञानचंद वर्मा ने भी खुलासा किया कि गगन जी के संरक्षण में ही सोना तस्करी करते हुए वह लोकल रैकेट तक सप्लाई करता था। उसे विदेशी स्विटजरलैंड निर्मित सोना के ताजा कंसाइनमेंट की डिलिवरी बांग्लादेशी कूरियर के जरिए भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर टेटरापोल एरिया में दी गई थी। इसके बाद डेढ़ करोड़ से अधिक के सोने की खेप को खपाने के लिए वह हावड़ा के रास्ते विभूति एक्सप्रेस से वाराणसी जा रहा था पर रास्ते में ही पकड़ा गया। इस बीच आरंभिक जांच में गगन जी के बारे में सुराग मिलने के बाद डीआरआई ने उसकी तलाश में दबिश बढ़ा दी है।
विदेशी सोने पर बांग्लादेश में 5.6% टैक्स लगता है। भारत में 25% से अधिक टैक्स लगता है। ज्यादा सोना लाने के लिए नियमानुसार प्रक्रिया को पूरा करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में टैक्स बचाने व अन्य कारणों से तस्करी के जरिए सोना मंगाने में तस्करों को फायदा होता है। जांच में लगे अफसरों के मुताबिक बांग्लादेश के तस्करों से सोना खरीदने के लिए कैश के अलावा हवाला से भी भुगतान किया जाता है।
लगन के मौसम में मार्केट में सोने की अधिक डिमांड होने से तस्करी बढ़ जाती है। तस्करी के सोने से बने आभूषण अपेक्षाकृत सस्ते होने के कारण छोटे मार्केट में अधिक डिमांड होती है। शादी के सीजन को देखते हुए सरगना ज्ञानचंद 5 किलो सोना वाराणसी ले जा रहा था। उसने चार महीने में तीन खेप सोना वाराणसी में खपाने भी बात भी स्वीकारी। हालांकि इस बार वह सबसे अधिक 5.10 किलो सोने की खेप लेकर जा रहा था।