जीएसटी से मुक्त होने के बाद बढ़ा राखी का व्यापार

अलवर| जीएसटी से मुक्त किए जाने के बाद शहर के राखी उद्योग में तेजी आई है। राखी बनाने व बेचने के कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि राखी उद्योग को 28 जुलाई से जीएसटी से मुक्त किया गया। इससे पहले छोटे व मझौले व्यापारी राखियों की अधिक डिमांड नहीं कर रहे थे। इससे उत्पादन पर असर पड़ा, क्योंकि राखियां महंगी पड़ रही थीं। व्यवसायी बताते हैं कि 28 जुलाई से पूर्व राखी पर 3 से 18 प्रतिशत तक जीएसटी लग रहा था। इस बार 7 से 10 करोड़ का उत्पादन कम हाेना माना जा रहा है। जिले में राखी का व्यवसाय 70 से 100 करोड़ रुपए के बीच माना जाता है। व्यवसायियों का कहना है कि जीएसटी के कारण राखी के भाव तेज बने हुए थे। तीन महीने पहले ही राखी की मांग शुरू करने वाले व्यापारी उतनी मांग नहीं कर रहे थे, जितनी पूर्व में वे करते थे। बड़े, छोटे व मझौले व्यापारियों की डिमांड कम हो गई थी। इससे राखी उद्योग पर असर पड़ा। अब 28 जुलाई के बाद से मझौले व छोटे व्यापारियों की सक्रियता बढ़ी है। राखी व्यापारी बच्चूसिंह जैन का कहना है कि जीएसटी से राखी को मुक्ति मिलने के बाद से राखी का बाजार बढ़ा है। फिर भी उतना प्रभावी नहीं रहा जितना हर बार रहता आया है। हालांकि अब खरीदारी की जा रही है। राखी व्य

28 जुलाई से पहले राखी पर 3 से 18 प्रतिशत तक जीएसटी लग रहा था, अब उठा बाजार

राखी बनाती महिलाएं।

12 हजार महिलाओं काे मिलता है रोजगार

अलवर के राखी उद्योग से 10 से 12 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं या तो अनपढ़ हैं या कम पढ़ी-लिखी हैं। पूरे साल इन महिलाओं को इससे रोजगार मिलता है। ये महिलाएं घर बैठे हर महीने 6 से 10 हजार रुपए कमा लेती हैं। हालांकि इस साल इन महिलाओं को पिछले वर्षों की तुलना कम रोजगार मिला।
जीएसटी से मुक्त होने के बाद बढ़ा राखी का व्यापार
एक रुपए से लेकर 500 रुपए तक की राखी : राखी उद्योग से जुड़ी शहर में करीब 10 छोटी-बड़ी इकाइयां हैं। इनके अलावा कई ऐसे कारीगर भी हैं, जो घर पर राखी बनाकर जिले व बाहर के शहरों में भेजते हैं। शहर में एक रुपए से लेकर 500 रुपए तक की राखियां बनती हैं।

अमेरिकन डायमंड की मांग ज्यादा : राखी व्यवसायियों का कहना है कि इस बार अमेरिकन डायमंड नाम के नग की राखियां अधिक पसंद की जा रही हैं। जिसकी चमक हीरे की जैसी है।

सौजन्य से: दैनिक भास्कर