जीएसटी की दरों में कटौती का विरोध करने का आरोप झेल रही कांग्रेस की ओर से जहां इसे नकारा जा रहा है

 Image result for gstनई दिल्ली। जीएसटी की दरों में कटौती का विरोध करने का आरोप झेल रही कांग्रेस की ओर से जहां इसे नकारा जा रहा है। वहीं बिहार के वित्तमंत्री सुशील मोदी का दावा है कि कांग्रेस और संप्रग शासित राज्यों की ओर से शुरूआत में विरोध किया गया था। जब भाजपा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने उन्हें याद दिलाया कि बाहर वे जीएसटी दरें घटाने की मांग करते हैं लेकिन अंदर विरोध कर रहे हैं, तो कांग्रेस शासित राज्यों के प्रतिनिधियों को रुख बदलते देर न लगी।

जीएसटी काउंसिल की बैठक में मौजूद रहे बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि शुरुआती 45 मिनट तक कांग्रेस शासित राज्यों ने जीएसटी की दरें घटाने के प्रस्ताव पर असहमति प्रकट की। कर्नाटक के मंत्री कृष्णा बायर गौडा ने दबे स्वर में दरें घटाने के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जीएसटी की दरें घटा रही है तो उसे राजस्व क्षतिपूर्ति की गारंटी को भी बढ़ाकर पांच साल से अधिक करना चाहिए। उनके बाद पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री नारायण सामी ने मुखर स्वर में जीएसटी की दरें घटाने के प्रस्ताव का विरोध किया।

मोदी के अनुसार जब असम की भाजपा सरकार के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा के बोलने की बारी आई तो उन्होंने कांग्रेस नेताओं को याद दिलाया कि वे बैठक के बाहर जीएसटी घटाने की मांग करते हैं जबकि अंदर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनका विरोध रिकार्ड पर जाना चाहिए ताकि जनता के बीच जाकर बताया जा सके कि किसने दरें घटाने का विरोध किया। शर्मा की इस बात के बाद कांगे्रस नेताओं ने विरोध छोड़ दिया।

मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेता जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाहर कुछ बयान देते हैं जबकि अंदर कुछ कहते हैं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य जीएसटी काउंसिल के बाहर पेट्रोलियम उत्पादों और बिजली को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं जबकि बैठक में ये कहते हैं कि अभी इसके लिए समय नहीं आया है। जब जीएसटी स्थिर हो जाए तभी इस पर विचार किया जाए। वास्तविकता यह है कि इन्होंने इन आइटम को लाने के लिए कभी भी बैठक में ठोस प्रस्ताव नहीं रखा।

source by Dainik Jagran