जगाधरी की फर्म के जीएसटी नंबर की फर्जी बिल बुक बनाकर रेत-बजरी के काटे जा रहे थे बिल

जीएसटी नंबर में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जगाधरी की फर्म के जीएसटी नंबर पर फर्जी बिल बुक तैयार कराई गई। इन बिलों पर रेत-बजरी के बिल काटे जा रहे थे। फर्म मालिक का आरोप है कि इसमें उनकी फर्म में काम कर चुके मुंशी की मिलीभगत है। पुलिस इकॉनोमिक सैल की लंबी जांच के बाद बूडिय़ा पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। जहां पर रेत-बजरी के भरे वाहनों से वसूली हो रही थी, वह एरिया घोड़ो पीपली चौकी में पड़ता है। इस केस मेें अब अगली कार्रवाई घोड़ो पीपली पुलिस करेगी। चौकी इंचार्ज हुकम सिंह ने बताया कि कितनी बिल बुक छपवाकर स्टोन क्रशरों पर दी गई हैं इसका पता आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ही चलेगा।

मोनिका रानी ने पुलिस को बताया कि उनकी श्री बाला जी इंटर प्राइजेज के नाम से फर्म है। फर्म का जीएसटी नंबर लिया हुआ है। उनका ट्रांसपोर्टर का काम है। 8 माह पहले उन्होंने गांव साबापुर निवासी अंकित को मुंशी के तौर पर रखा था, जिसे बाद में निकाल दिया। एक दिन उनके पति अपने दोस्त के साथ टापू में गए थे। वहां पर जैसे ही वे ट्रकों में मैटीरियल भरवाकर चलने लगे तो वहां पर उन्हें मेटिरियल के बिल दिए गए। उन बिलों पर जो जीएसटी नंबर और टिन नंबर था वह मोनिका की फर्म का था। बिल काट रहे दीपक नाम के कर्मचारी से पूछा कि यह बिल बुक उसे किसने दी है तो उसने बताया कि यह बिल बुक साबापुर निवासी अंकित ने दी थी।

8 हजार की पगार वाले मुंशी ने दो कारें-डंपर खरीद लिए, तब शक हुआ|टापू में स्थित क्रशर पर तैनात दीपक से जो बिल बुक मिली है उसमेें 1459 बिक कटे हुए थे। एक बिल 500 रुपए का काटते हैं। वहीं एक बिल बुक में दो हजार बिल होते हैं। उनका कहना है कि इस तरह से एक बिल बुक के अनुसार करीब सात लाख रुपए के बिल उनके जीएसटी नंबर पर काटे गए। इससे इसका टैक्स उन्हें देना पड़ेगा। आशंका जताई कि अन्य स्टोन क्रशरों पर भी ये बिल बुक सप्लाई की होंगी। जो बिल बुक पकड़ी हैं उसमें उनकी फर्म के नाम में सिर्फ एक शब्द ही बदला हुआ था। अंकित ने उनके यहां पर करीब आठ माह काम किया है। आठ से दस हजार की नौकरी करने वाला व्यक्ति इस दौरान दो कारें खरीद चुका था, एक डंपर और उसके पास काफी पैसा रहने लगा था। यहीं से उन्हें शक हो गया था, कि कहीं न कहीं गड़बड़ हो रही है।

सौजन्य से: दैनिक भास्कर