गुवाहाटी से पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति और महानंदा एक्सप्रेस से कानपुर लाई जा रही तस्करी की सुपाड़ी पकडऩे के लिए कस्टम के अधिकारियों ने सेंट्रल स्टेशन पर छापा मारा

Image result for supariकानपुर । गुवाहाटी से पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति और महानंदा एक्सप्रेस से कानपुर लाई जा रही तस्करी की सुपाड़ी पकडऩे के लिए कस्टम के अधिकारियों ने सेंट्रल स्टेशन पर छापा मारा। रेलवे अधिकारियों ने दोनों ही बोगी खोलने से मना कर दिया जिस पर ट्रेन आगे रवाना हो गई। कस्टम अफसरों ने दिल्ली के अधिकारियों को सूचना दी जिसके बाद दिल्ली में दोनों ही ट्रेनों से 200 बोरे तस्करी की सुपाड़ी पकड़ी गई। कस्टम अधिकारियों ने सेंट्रल स्टेशन के अधिकारियों द्वारा सहयोग न करने पर नाराजगी जताई है।

कस्टम उपायुक्त चंचल तिवारी के मुताबिक मंगलवार को सूचना मिली थी कि पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति व महानंदा एक्सप्रेस से गुवाहाटी में तस्करी की सुपाड़ी लादी गई है। इस सुपाड़ी को कानपुर में उतारा जाना था। मंगलवार देर रात ही कस्टम के अधिकारी सेंट्रल स्टेशन पहुंच गए और उन्होंने रेलवे अधिकारियों को सूचना दे दी कि इन दोनों ट्रेनों से आ रही सुपाड़ी के तस्करी के होने की सूचना है। इसलिए इसे बोगी से उतरते ही उन्हें अपने कब्जे में लेना है। सुबह पांच बजे करीब पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस सेंट्रल स्टेशन पहुंची तो रेलवे के अधिकारियों ने जिस बोगी में सुपाड़ी थी, उसे खोलने ही नहीं दिया। इस बीच ट्रेन कानपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो गई।

कस्टम अधिकारियों ने दिल्ली के अधिकारियों को फोन कर इसकी जानकारी दी। दोपहर में साढ़े बारह बजे आई महानंदा एक्सप्रेस में फिर वही स्थिति हुई। रेलवे के अधिकारियों ने इस माल को भी उतारने के लिए बोगी नहीं खोली और यह ट्रेन भी रवाना हो गई। आखिरकार दोनों ट्रेनों से तस्करी की सुपाड़ी दिल्ली कस्टम के अधिकारियों ने पकड़ी। महानंदा एक्सप्रेस में 150 बोरी और पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति में 50 बोरी सुपाड़ी मिली। इसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई जा रही है।

इनका ये है कहना

दिल्ली और लखनऊ स्टेशन पर रेलवे के अधिकारी सहयोग करते हैं लेकिन कानपुर में ही अधिकारी कार्रवाई नहीं करने देते। जबकि कस्टम की धारा 151 के तहत सभी विभाग कस्टम का सहयोग करने के लिए बाध्य हैं। पहले भी रेलवे के अधिकारी बोगी खोलने की जगह ट्रेन को आगे रवाना करते रहे हैं।

– चंचल कुमार तिवारी, उपायुक्त, कस्टम।

पहले भी एक बार कस्टम अधिकारी एसएलआर खाली करा चुके हैं। बाद में कह दिया था कि माल में उनके मतलब का कुछ नहीं। वह माल 15 दिन प्लेटफार्म पर ही पड़ा रहा था। इनके पास सटीक सूचना नहीं होती है। माल दिल्ली जा रहा था, इसलिए दिल्ली में ही चेक करने की बात कही थी। गाड़ी लेट नहीं करा सकते थे।

-हिमांशु शेखर उपाध्याय, स्टेशन निदेशक कानपुर सेंट्रल स्टेशन।

source by : dainik jagran