दिवाली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है एक आम आदमी की भाषा में घर की सफाई, नए सामान खरीदना, मिठाई तथा रिश्तेदारों में उपहार बांटना उसके बाद रात में दीये तथा पटाखें जलाना और अगले दो दिन भैया दूज तक खुशिया मनाना। मगर इसके साथ कुछ बुराईयां भी जुड़ी है जो एक अमीर आदमी की पंहुच तक ही सीमित है। परसों में एक फिल्म देख रहा था कालिया अमिताभ बच्चन तथा प्राण की। प्राण इस फिल्म में जेलर होता है इस फिल्म में उसका एक डायलॉग कितना अच्छा है कि बुराई की कमाई से ही महल जैसे घर तथा अय्याशी की जा सकती है। मेहनत की कमाई से तो ना महल बनते है, ना ही लंबी-लंबी गाड़ियां आती है ना ही फाइव स्टार होटलों में मजे लूटे जा सकते है, ना ही हुक्का बार में जाया जा सकता है और ना ही करोड़ों का जुआ खेला जा सकता है। कहां से यह सब पैसा आ रहा है कि दिवाली वाले दिन राजौरी गार्डन जैसे इलाके में करोड़ों का जुआ खेला जा रहा था तथा रात को पुलिस ने राजौरी गार्डन से 100 अमीर लोगों को गिरफ्तार किया जुआ खेलते हुए।
इसमें स्मगलर-बिल्डर माफियां, फर्जी फाईनेंसरों से लेकर इम्पोर्टर तथा एक्सपोर्टर थे। ड्रॉ-बैक खाने वाले तथा सोना-पटाखें लाने वाले स्मगलिंग के पैसो से बने होटलों के कारोबारी। मोदी जी गलत काम को जितना रोकने की कोशिश कर रहे है। यह दो नंबरी लोग उतना ही नया काम ढूंढ़ते जा रहे है जिसको हराम की खाने की आदत पड़ जाये वह कभी नहीं सुधर सकते। आज मैं देख रहा हूँ कि स्मगलरों के परिवार के बच्चे अपने बड़ों को देखकर वह भी स्मगलिंग कर रहे है। वह अपने चाचा, मामा और बाप से भी बड़े स्मगलर बनना चाहते है। एस.ई.जेड में स्मगलिंग का धंधा करने वाले स्मगलरों को जानता हूँ मैं आज उनके बच्चे और भतीजे भी वहीं खेल खेल रहे है। वह सीएचए और भ्रष्ट अफसरों को ढूंढ़ लेते है जो उनका काम कर दे। लानत है ऐसे परिवारों पर यहीं वह दो नंबरी लोग है जो देश के कानूनों का पालन नहीं करते रात तीन बजे तक पटाखें जलाते है ना सुप्रीम कोर्ट से डरते है ना पुलिस से सब इनके जेबों में हैं।
मैं एक बात कस्टम तथा डीआरआई से पूछना चाहता हूं क्या इस दिवाली एक भी कंटेनर पटाखों के नहीं आए? क्या दिवाली पर किसी भी एयरपोर्ट पर एक भी स्मगलर सोना लेकर नहीं उतरा? करोड़ों का इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट हुआ क्या एक भी कंटेनर मिस-डिक्लरेशन का नहीं आया? क्यों देश के किसी भी एयरपोर्ट पर दिवाली वाली रात भ्रष्ट अफसरों की ड्यूटी नहीं लगाई गई? वाह! कितना सुधर गया है मेरा देश या सुधर गया है स्मगलिंग का सिस्टम फुलप्रूफ हो गया है भ्रष्टाचार का सिस्टम। दिल्ली को ही सुधारने का ठेका दिया है चैन्नई, कोलकता, मुम्बई नावाशिवा तथा मुद्रा पोर्ट क्यों छूट है स्मगलिंग की?