नि:संदेह जरूरत केवल इसकी ही नहीं है कि जीएसटी व्यवस्था और अधिक सरल बने, बल्कि इसकी भी है कि टैक्स चोरी का सिलसिला थमे। यह ठीक नहीं कि जीएसटी चोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। टैक्स चोरी में लिप्त लोगों को यह एहसास जितनी जल्दी हो जाए तो अच्छा कि ये सिलसिला अधिक दिनों तक चलने वाला नहीं। इसी के साथ सरकार को भी इस पर ध्यान देना होगा कि टैक्स चोरी रोकने हेतु उठाए गए कदम उन कारोबारियों की परेशानी का सबब न बनें, जो ईमानदारी से टैक्स चुका रहे हैं। चूंकि जीएसटी संग्रह में कमी से अर्थव्यवस्था में सुस्ती का भी संकेत मिलता है, इसलिए सरकार को इस पर भी ध्यान देना होगा कि यह सुस्ती कैसे दूर हो? हालांकि वित्त मंत्रालय की ओर से अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन इसे लेकर अभी भी सुनिश्चित नहीं हुआ जा सकता कि इन कदमों से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ ही जाएगी। इसमें दोराय नहीं कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती उद्योग जगत को प्रोत्साहन देने वाला एक बड़ा कदम है, लेकिन बात तो तभी बनेगी, जब उद्योगपति वास्तव में सक्रिय होंगे। बेहतर होगा कि सरकार जीएसटी संग्रह बढ़ाने के उपाय करने के साथ ही इस पर भी नजर बनाए रखे कि आर्थिक गतिविधियां अपेक्षित ढंग से तेजी पकड़ रही हैं या नहीं।
source by : nai dunia