कस्टम सेन्ट्रल एक्साइज तथा सर्विस टैक्स से उत्पन्न हुऐ जीएसटी का क्या हाल होगा?

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क्या अफसरों की रिश्वतखोरी खत्म हो जायेगी , मिस डिक्लरेशन, टैक्सी कंम्पनियों में काम, ड्रॉ बैक घोटाला, अंडर वेल्यूऐशन तथा ओवरवेल्यूऐशन। कितना असर आयेगा इन सब पर सोचा जाये ता जीएसटी कोई भ्रटाचार मिटाने का रामबाण दवाई नहीं है। जो लोग सोचते है कि यह सब सिस्टम खत्म हो जायेगा वह गलतफ्हमी पाल रहे हैं जीएसटी तो सभी टैक्सों को मिला कर एक टैक्स भरने की पद्धति है।
हां कुछ व्यपारियों को छोटे सरकारी कर्मचारियों से राहत जरूर मिलेगी जैसे चुंगी वाले, पुलिस वाले जो रास्ते मे आते जाते छोटे दुकानदारों को दिहाड़ी बनाने के लिए तंग करते थे। थ्रीविलर में कोई समान ले जा रहा है तो रोक कर पुलिसवाले भी बिल मांगते था 100-200 लेकर जान छुड़ा लेता था। आम दुकानदार चूंगी वाले भी इसी तरह की हरकते करते थे मगर अब नहीं। सेन्ट्रल एक्साइज तथा सर्विस टैक्स का नाम बदल कर जीएसटी जो हो गया है। आप उनके चुगंल से अब भी नहीं छुटोगे। कस्टम भी वही करेगा मेरे हिसाब से अब जीएसटी नाम की नई सरकारी बीमारी और फैलकर सामने आयेगी। अब इनकी मार में और कई तरह के व्यापारी आ गए है। ज्वैलर्स से लेकर गारमेंट वाले तक सब जीएसटी के दायरे में आ चुके है। नए अफसर नए स्टाईल में आने की तैयारी में कमर कस रहे है। मलाईदार पोस्टिंग की छंटाई हो रही है। इलाकों का बंटवारा 35 साल बाद दुबारा से हो रहा है। दिवाली तक पूरी तरह कब्जे में होगा हमारा भारत देश।
व्यापारी सूत्रों की माने तो मेक इन इंडिया धरा का धरा रह जायेगा। इम्पोर्ट इन इंडिया बढ़ेगा। मिस डिक्लेशन, टैक्सी कम्पनियां, ड्रॉ बैक घोटाला, वेल्यूऐशन का खेल जम कर होगा मगर नए स्टाईल में।
जैसे पहले क्रिकेट का मैच होता था पांच दिन का फिर तीन दिन का, अब 50 ओवर का समय के साथ क्रिकेट नहीं बदला खेलने का वही तरीका है मगर दाम पहले से ज्यादा है यही हाल होगा कस्टम सेन्ट्रल एक्साइज तथा सर्विस टैक्स से बने जीएसटी का मोदी जी ने कई मक्खनों को मिला कर एक नए क्वालिटी का मक्खन निकाला है जिसका नाम है जीएसटी ॠङ्मङ्म२ि-री१५्रूी-ळं७ .