एक्सपोर्टर कंपनियों को तकलीफ देगा ऑटो सेक्टर पर US टैरिफ

Image result for tata motors दिल्ली
अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने स्टील और ऐल्युमीनियम पर इंपोर्ट टैरिफ लगाने के बाद अब ऑटोमोबाइल सेक्टर पर फोकस के साथ शुल्क और व्यापार असंतुलन को दुरुस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाने के संकेत दिए हैं। अमेरिका में टाटा मोटर्स, भारत फोर्ज और मदरसन सुमी का बड़ा कारोबार है और जहां तक टाटा मोटर्स की सब्सिडियरी जेएलआर की बात है तो यह जर्मन कंपनियों से उलट अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग नहीं करती है, इसलिए कंपनी पर अमेरिका में इंपोर्ट टैरिफ लगने से नुकसान होने का खतरा ज्यादा है।

 भारत फोर्ज को अधिकांश आमदनी अमेरिकी बाजारों से हासिल होती है, इसलिए इस पर अच्छा-खासा असर होगा। मदरसन सुमी मेक्सिको और यूरोप की ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफक्चरिंग कंपनियों को सप्लाइ करती है, इसलिए इस पर इनडायरेक्ट असर हो सकता है। मेटल पर इंपोर्ट टैरिफ लगने से कारों के दाम में औसतन 200 से 250 डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है। अमेरिका यूरोप में बनने वाली कारों का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। यूरोप से जितनी कारें एक्सपोर्ट होती हैं, उनमें से एक चौथाई अमेरिकी बाजारों में बिकती हैं।

जेएलआर 20% कारें अमेरिकी बाजार में बेचती है। बीएमडब्लू, फोक्सवैगन और मर्सिडीज बेंज जैसे नामी ब्रांड्स के उलट जेएलआर का अमेरिका में एक भी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है। इसलिए अमेरिका में इंपोर्ट टैरिफ बढ़ाए जाने पर कड़े कॉम्पिटिशन और बढ़ते डिस्काउंट के बीच जेएलआर को ज्यादा नुकसान हो सकता है। पिछले कुछ क्वॉर्टर्स से जेएलआर का मार्जिन घट रहा है। ब्रेग्जिट के बाद यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन में अलग-अलग इंपोर्ट टैरिफ होने से कंपनी पर नेगेटिव असर होगा। टाटा मोटर्स को 90% से ज्यादा रेवेन्यू और 85% से ज्यादा फेयर वैल्यू जेएलआर से हासिल होता है।

अमेरिका में इंपोर्ट टैरिफ लगने से इंडिया की दिग्गज फोर्जिंग कंपनी भारत फोर्ज पर भी नेगेटिव असर हो सकता है। कंपनी के लगभग 40% फोर्ज्ड कंपोनेंट्स अमेरिकी बाजारों में एक्सपोर्ट होते हैं। अमेरिका के हेवी ट्रक मार्केट में तेजी है जिसके चलते एनालिस्ट कंपनी को अमेरिकी बाजार से मिलने वाले रेवेन्यू में फिस्कल ईयर 2018 के दौरान 25% और फिस्कल ईयर 2019 में 15% बढ़ोतरी होने का अनुमान लगा रहे हैं।

क्लास 8 ट्रकों का ऑर्डर 2017 में लगभग डबल हो गया था। इनके ऑर्डर से नॉर्थ अमेरिका में हेवी ट्रकों के ऑर्डर इनफ्लो का पता चलता है। इनसे भारत फोर्ज को यह फायदा होगा कि वह अमेरिका में टैरिफ लगने के बाद वहां फोर्जिंग कैपेसिटी नहीं होने का फायदा उठा सकती है और उसकी अमेरिकी सब्सिडियरी वॉकर फोर्ज के प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी हो सकती है।

मदरसन सुमी को कंसॉलिडेटेड बेसिस पर 20 से 25% रेवेन्यू अमेरिकी बाजार से हासिल होता है। CLSA ने अपने नोट में लिखा है कि अगर अमेरिका की सरकार भारीभरकम इंपोर्ट टैरिफ लगा दे तो अमेरिकी पैसेंजर कार कंपनियों को सप्लाई देने वाले मदरसन सुमी के मेक्सिको और यूरोप वाले प्लांट्स पर नेगेटिव असर हो सकता है।